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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान तथा सहयोगी संस्था एडरा इंडिया के सहयोग से मंगलवार को विकास भवन के सभागार में जिला पंचायत सदस्यों के लिए नियमित टीकाकरण विषय पर उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गईं। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विश्राम सिंह ने बताया कि शून्य से पांच साल तक की आयु के बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाने और प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के लिए यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
जन्म से दो साल तक टीकाकरण सबसे जरूरी – डॉ. प्रशांत रंजन
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. प्रशांत रंजन ने कहा कि बच्चों के टीकाकरण के लिए शुरूआत के दो साल सबसे ज्यादा जरूरी होता है। जिन बच्चों में जन्म से लेकर दो साल तक की आयु के बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। जिसकी वजह से वह वायरस या बैक्टीरिया के सम्पर्क में जल्दी आते हैं और बीमार पड़ते हैं। बच्चों का टीकाकरण करवाना इसलिए जरूरी होता है कि छोटे बच्चों के शरीर में बीमारियों से लड़ने की कम ताकत होती है। टीके नहीं लग पाने की दशा में बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। कुछ बीमारियां उन्हें दिव्यांग या मानसिक रूप से कमजोर बना सकती हैं, और कुछ मामलों में उनकी जान भी जा सकती है।
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बच्चों के समुचित विकास के लिए टीकाकरण जरूरी – डॉ. अजमेर सिंह
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के नोडल डॉ. अजमेर सिंह ने बताया कि बच्चों का टीकाकरण कराने के लिए हर किसी को जागरूक होने की जरूरत है जिससे कि उनके अंदर बीमारियों से लड़ने की ताकत (इम्यूनिटी) पैदा हो सके और उनका समुचित विकास सुनिश्चित हो सके। डब्लू एचओ के एसएमओ डॉ. पीवी कौशिक ने कहा कि बच्चों को सुपोषित बनाने में भी टीकों की बड़ी भूमिका है क्योंकि टीके से वंचित बच्चा यदि लम्बे समय तक दस्त (डायरिया) का शिकार हो गया तो उसका समुचित विकास बाधित हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, जिससे इस तरह के बच्चे पढाई-लिखाई में भी पिछड़ जाते हैं जिससे उनका पूरा जीवन चक्र प्रभावित होता है।
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टीकाकरण जागरूकता पर जिला पंचायत अध्यक्ष का जोर
कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल जी ने कहा कि बीमारियों से बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण करवाना जरूरी है। हालांकि लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि किस उम्र में कौन सा टीका लगवाया जाए। लोगों को इसके बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है।
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स्वास्थ्य कार्यशाला में विशेषज्ञों और अधिकारियों की भागीदारी
कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के सभी स्वास्थ्य अधिकारी और डब्लूएचओ के एसआरटीएल डॉ. बिजेंद्र सिंह चंदेल, एसएमओ डॉ. पीवी कौशिक, यूनिसेफ के डिवीजनल हेल्थ कोऑर्डिनेटर शोभित शर्मा एवं डीएमसी नूरूल निशा, गावी, एडरा इंडिया की सीएसओ शालिनी बिष्ट, ज़ुबैर अहमद, जिला पंचायत सदस्य व कलस्टर कोऑर्डिनेटर मौजूद रहे।
बच्चों को लगाये जाते हैं। 12 बीमारियों से बचाव के टीके
टीबी, हिपेटाइटिस बी, पोलियो, खसरा, रूबेला, काली खांसी, गलघोंटू, टिटेनस, रोटा वायरस से होने वाला डायरिया, इन्फ्लूएंजा, निमोनिया, जापानी इन्सिफेलाइटिस | इसके साथ ही गर्भवती को व्यस्क डिप्थीरिया और टिटेनस(टीडी) के दो लगाये जाते हैं | एक टीका गर्भावस्था का पता लगते ही और दूसरा उसके अगले माह।