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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
ब्लाक रामनगर के किटौना गांव में हफ्ते भर पहले जांच करने गई थी टेकनिकल टीम
बरेली। कार्यवाहक भूमि सरंक्षण अधिकारी संजय सिंह के कारनामे अब खुलकर सामने आने लगे हैं। डब्ल्यूडीसी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजनाओं में सात करोड़ से ज्यादा धनराशि के गोलमाल की टीएसी जांच से बौखलाए कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह ने टीम को जांच के लिए हफ्ते भर बाद भी न एमबी उपलब्ध कराई है, न ही अन्य जरुरी अभिलेख। सच्चाई यह है कि कार्यवाहक बीएसए ने कामों की बिना एमबी कराए ही करोड़ों रुपए का भुगतान बदायूं की बिसौली रोड स्थित एक एजेंसी के फर्जी बिल बनाकर करा लिया है। टीएसी का शिकंजा कसता देखकर कार्यवाहक बीएसए कामों के रिकार्ड देने में जानबूझकर देरी करने में लगे हैं ताकि बीच के टाइम में वह 15 प्रोजेक्ट के कामों को फर्जी एमबी बनाकर भेज सकें।
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अधिकारियों के घर लगा रहे दिन-रात चक्कर
भूमि संरक्षण विभाग की डब्ल्यूडीसी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना में कुछ कामों की मात्र खानापूरी करके 7 करोड़ से ज्यादा की धनराशि का भुगतान हो चुका है। पिछले दिनों इस मामले की टीएसी जांच के आदेश मंडल आयुक्त सौम्या अग्रवाल ने किए थे। संयुक्त विकास आयुक्त प्रदीप कुमार के नेतृत्व में टीएसी टीम ने ब्लाक रामनगर के कितौना गांव में जाकर भूमि संरक्षण विभाग के पक्के कामों की जांच की थी। उसमें एक तो पीला और दोयम दर्जे कीईंट पाई गई थी। दूसरे पक्के निर्माण कार्यों में बनाए गए कुलाबों की नींव गायब थी। कुलाबे की ईंट सिर्फ खेत की मिट्टी पर एट रख दी गई थी। टीम को मौके पर खेत के समतलीकरण, कच्चा नाला निर्माण और मेधबंदी के कामों में भी धांधली मिली थी।
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जांच में घटिया गुणवत्ता के काम मिलने से बौखलाए बीएसए संजय सिंह ने जांच टीम पर ही सवाल उठा दिए थे। इसके बाद कमिश्नर ने जेडीए राजेश कुमार को अपने दफ्तर बुलाकर बीएसए संजय सिंह के रवैए पर गहरी नाराजगी जताई थी। अब जेडीसी कार्यालय की ओर से कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह को पत्र पर पत्र लिखकर संबंधित अभिलेख उपलब्ध कराने को कहा गया है लेकिन कार्यवाहक बीएसए आधे अधूरे अभिलेख देकर जांच में बाधा डालने की कोशिश में लगे हैं। कार्यवाहक बीएस चाहते हैं कि उनके घटिया गुणवत्ता के कामों की टीएसी जांच न हो। इसके लिए वह सत्ता पार्टी के कुछ नेताओं और अधिकारियों के घर दिन-रात चक्कर भी लगा रहे हैं ताकि किसी तरह से जांच मैनेज हो जाए।
( कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह )
रिकार्ड देने में जानबूझकर देरी
सूत्रों के अनुसार जेडीसी दफ्तर की ओर से जेडी एग्रीकल्चर राजेश कुमार को पत्र लिखकर वाटरशेड घटक और किसान समृद्धि योजना मैं हुए पक्के और कच्चे कामों की एमबी समेत अन्य अभिलेख मांगे गए थे। मगर, वह अभिलेख भूमि संरक्षण कार्यालय की ओर से सप्ताह भर बाद भी उपलब्ध नहीं कराए गए। इससे जांच में प्रगति नहीं हो पा रही है। वहीं दूसरी ओर टेक्निकल टीम को यह पता चला है कि दोनों योजनाओं में करोड़ों रुपए के कामों का भुगतान पहले हो गया था । उन कामों की एमबी नहीं कराई गई जबकि नियम भुगतान होने पहले कामों की एमबी कराने का है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि अपनी गर्दन जांच में फंसी देख कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह देर रात तक भूमि संरक्षण विभाग का दफ्तर खुलवाकर उन कामों की फर्जी एमबी करने में लगे हुए हैं जिनके भुगतान हो चुके हैं।
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जेई और कर्मचारियों से गाली गलौज
विभागीय सूत्रों का कहना है कि कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह का आचरण और व्यवहार अपने स्टाफ के प्रति बहुत खराब है। वह अपने कर्मचारी स्टाफ और अवर अभियंताओं से आए दिन न केवल गाली गलौज करते हैं बल्कि उनको कमरे में बंद करके मारपीट भी की जाती है। एक जेई बीएसए के खिलाफ भोजीपुरा थाने में तहरीर भी दे चुके हैं। वह अलग बात है कि इस मामले की एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई।
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104 गांवों की होनी है टीएसी जांच
मंडल आयुक्त सौम्या अग्रवाल के निर्देश पर ज्वाइंट डेवलपमेंट कमिश्नर की टेक्निकल टीम इस मामले की जांच मौके पर जाकर कर रही है। प्रथम चरण की जांच में कामों की गुणवत्ता बहुत घटिया स्तर की पाई गई थी। आगे की जांच के लिए कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह से कामों की डिटेल और उनकी एमबी के अभिलेख मांगे गए थे। इसमें आधे अधूरे अभिलेख ही उपलब्ध करए गए हैं। भूमि संरक्षण विभाग के 104 गांव में पक्के और कच्चे कामों की जांच होनी है। दूसरे चरण में कुछ और गांव भी शामिल किए गए थे उनकी जांच भी होगी।