/young-bharat-news/media/media_files/2025/03/05/8E4dOkbhnSCIn2vqHqwl.jpg)
00:00
/ 00:00
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में बुधवार को कृषि विज्ञान केंद्र में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में 28 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. रूपसी तिवारी के निर्देशन में किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. एचआर मीणा ने केचुआ खाद उत्पादन तकनीक और इससे जुड़े संभावित व्यावसायिक अवसरों की जानकारी दी।
यह भी पढ़ें- Smart City Project : एक साल में ही बंद हो गई 91 लाख की घड़ी
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सीएस राघव ने जैविक खेती में मृदा पोषण प्रबंधन में वर्मीकम्पोस्ट की भूमिका पर प्रकाश डाला, जबकि फार्म प्रबंधक डॉ. अमित पिप्पल ने एकीकृत कृषि प्रणाली में अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व को समझाया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को खेतों में उत्पन्न होने वाले कचरे से जैविक खाद बनाने की विधियों के बारे में बताया। इस दौरान प्रशिक्षुओं को कृषि विज्ञान केंद्र के फार्म का भ्रमण भी कराया गया।
यह भी पढ़ें- बवाल के बाद मेडिकल छात्रों में दहशत, कमरे खाली कर इधर-उधर ली शरण
तकनीकी अधिकारी वाणी यादव ने वर्मीकम्पोस्ट बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल, विभिन्न विधियों और प्रभावी जैव व अजैविक कारकों की जानकारी दी। प्रशिक्षुओं को खाद बनाने से लेकर छानने, पैकिंग और भंडारण की सारी प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही वर्मीवाश की गुणवत्ता और उसके उपयोग पर भी विशेष सत्र आयोजित किया गया।
यह भी पढ़ें- ADG: आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों को जेल भेजें, डिजिटल वॉलंटिअर्स का सहयोग लें
बागवानी विशेषज्ञ डॉ. रंजीत सिंह ने बताया कि कैसे जैविक विधि से उगाई गई सब्जियों और फलों का स्वाद और पोषण बेहतर होता है। उन्होंने रासायनिक खेती की तुलना में जैविक खेती के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से जैविक कृषि को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही किसानों और युवाओं को वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन के व्यावसाय से जोड़ा जा सकेगा।