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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता
बरेली। सुदृढ़ शक्ति फाउंडेशन द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा में भक्त नित नई कथा का श्रवण कर रहे हैं। आचार्य विमल कृष्ण महाराज ने कंस वध और रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। कथा का शुभारम्भ डॉ ऋचा दीक्षित ने कराया। कंस वध रुक्मणी मंगल माया और जीवन का पर्दा भगवान के दर्शन प्राप्त किया।
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माता की भूमिका: संतान के संस्कारों पर गहरा प्रभाव
अमिताभ अग्रवाल ज्ञानेंद्र गुप्ता महिलाओं के लिए प्रमुख सिख माता की जिम्मेदारी भक्त प्रहलाद की माता कालू जब गर्भवती थी। तब नारद ने उन्हें सत्संग और भक्ति का ज्ञान दिया। इससे पता चलता है कि मां के विचार और आचरण संतान पर प्रभाव डालते हैं। महिलाओं को अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए धार्मिक और नैतिक शिक्षा का पालन करना चाहिए। धैर्य और सहनशीलता भक्त प्रहलाद की माता ने कठिन परिस्थितियों में भी कम रखा महिलाओं को परिवार और समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए सहनशीलता धन्यवाद रहना आवश्यक है।
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भागवत कथा में स्त्री को महान जीवन की पूर्णता माना गया
ग्रस्त धर्म का पालन करना भागवत कथा में स्त्री को ग्रेट जीवन की पूरी माना गया है। महिलाओं को अपने परिवार को अज्ञात्मिक मार्ग पर चलने और सद्गुणों से भरपूर वातावरण देने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। प्रह्लाद ने भगवान की भक्ति की और सभी स्थिति में उनका स्मरण किया महिलाओं को भी अपने परिवार के साथ ईश्वर भक्ति और सत्संग को प्राथमिकता देनी चाहिए। संघर्षों से हिम्मत नहीं हारना चाहिए।
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भक्ति और श्रद्धा से मिलता है कठिनाइयों का समाधान
माता के आधुनिक विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी आस्था और भक्ति को नहीं छोड़ा हमें यह सिखाता है कि महिलाओं को किसी भी कठिनाई में ईश्वर पर विश्वास बनाए रखना चाहिए। डॉoऋचा दीक्षित यजमान, विवेक मिश्रा ,डॉक्टर दीप माला शर्मा, डॉ दीप पंत, डॉ हेमा पंत अमिता अग्रवाल, ज्ञानेंद्र गुप्ता, उपस्थित थे।