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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बसपा और भाजपा से दो बार विधायक रह चुके पंडित आरके शर्मा आजकल समाजवादी पार्टी का झंडा थामे हुए हैं। वह 2022 का विधानसभा चुनाव आंवला विधानसभा से वर्तमान कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह के खिलाफ लड़े थे। उसमें उनको 30 हजार वोटों से करारी मात मिली थी। कभी उनके शहर की कैंट विधानसभा से चुनाव लड़ने की चर्चा चलती है तो कभी आंवला से। कभी बदायूं की किसी सीट पर उनके चुनाव लड़ने की खबरें जब तब राजनीतिक हलकों में गूंजती रहती हैं। हालांकि तीन साल पहले आंवला से विधानसभा चुनाव में पराजित होने के बाद पूर्व विधायक की राजनीति में सक्रियता बहुत ज्यादा नहीं दिखती। हालांकि वह सपा के कुछ कार्यक्रमों में गाहे-बगाहे दिख जाते हैं। यंग भारत न्यूज चैनल के स्थानीय संपादक सुधाकर शुक्ल ने सपा नेता और पूर्व विधायक पंडित आरके शर्मा से वर्तमान राजनीति के परिप्रेक्ष्य में उनके कुछ बिदुंओं पर बातचीत की। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश-
2022 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आप भाजपा छोड़कर सपा में क्यों चले गए
मैं पांच साल भाजपा से बदायूं की बिल्सी सीट से विधायक रहा। भाजपा सरकार में सांसद या विधायक का प्रशासनिक या पुलिस के अफसरों के बीच कोई मान-सम्मान नहीं हैं। चाहे भाजपा के सांसद हों या फिर विधायक। सब डीएम, एसडीएम, तहसीलदार के पैर छूकर और गिड़गिड़ाकर अपने काम के लिए कहते हैं। फिर भी अफसर उनका काम नहीं करते। जहां मान-सम्मान न हो तो ऐसी पार्टी में रहकर विधायक बनने से क्या फायदा।
आपके हिसाब से सपा में विधायक या सांसदों का कितना मान-सम्मान है
समाजवादी पार्टी में माननीय नेताजी के समय में भी जनप्रतिनिधियों का पूरा मान-सम्मान था। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकार के समय भी किसी भी अफसर की हिम्मत नहीं होती थी कि वह किसी जनप्रतिनिधि का अपमान करे। भाजपा सरकार में जनप्रतिनिधियों की बहुत दुर्दशा है। जनता की भी दुर्दशा है। पुलिस जब जिसको चाहे उठाकर गोली मार देती है। हाफ इनकाउंटर इसी सरकार में हो रहे हैं। इससे पहले ये शब्द किसी ने नहीं सुना।
करणी सेना ने आगरा में आपके सांसद के घर पर हमला कर दिया, क्यों
करणी सेना कुछ नहीं है। ये सब भाजपा कार्यकर्ता हैं। आगरा में हमारे राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर जो हमला किया गया है, वह सब सरकार के इशारे पर हुआ। करणी सेना के हुड़दंगी कार्यकर्ता नंगी तलवारें लहराकर निकले। आखिर, वह क्या संदेश देना चाहते थे। अगर रामजीलाल सुमन ने कुछ कह भी दिया था तो उसका विरोध लोकतांत्रिक तरीके से भी हो सकता था। मगर, भाजपा की सरकार में गुुंडागर्दी की हद हो गई है। पुलिस-प्रशासन पूरी तरह खामोश है।
अगला विधानसभा चुनाव आप किस दल से और किस विधानसभा से लड़ेंगे
मैं अब सपा में हूं। चुनाव चाहे लडूं या न लडूं। मगर, अब हमारा शरीर साइकिल वाले झंडे में ही लिपटकर श्मशान तक जाएगा। सपा में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी समेत पूरी पार्टी ब्राम्हणों का पूरा सम्मान करती है। किसी भी दल में ब्राम्हणों का सम्मान नहीं है। सपा ने विधानसभा में नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडेय को बनाया। हमारी पार्टी में तमाम सांसद और विधायक ब्राम्हण हैं। भाजपा में ब्राम्हणों का सम्मान नहीं है।
भाजपा में ब्राम्हणों का सम्मान क्यों नहीं है, आप कोई उदाहरण देकर बताइए
बनारस में सपा नेता हरीश मिश्रा के ऊपर चाकू से हमला हुआ। पुलिस ने हमलावर पर कार्रवाई करने के बजाय उल्टे हरीश मिश्रा को ही जेल भेज दिया। केवल हरीश मिश्रा ही नहीं। न जाने कितने ब्राम्हणों के इनकाउंटर हो गए। पूर्वांचल के कद्दावर ब्राम्हण नेता हरीशंकर तिवारी का तो सरकारी उत्पीड़न की वजह से ही निधन हो गया। अब सरकार उनके बेटे विनय शंकर तिवारी को परेशान कर रही है। उनको भी सरकार ने जेल भेज दिया। ब्राम्हणों का जितना उत्पीड़न भाजपा सरकार में हुआ, उतना तो बहन जी की सरकार में भी नहीं हुआ। ब्राम्हणों को अब सोचना चाहिए। भाजपा सरकार पूरी तरह से ब्राम्हण विरोधी है।
आपकी पार्टी के आंवला से सांसद नीरज मौर्य के भाजपा में जाने की चर्चा जोर-शोर से है
मेरे हिसाब से नीरज मौर्य बहुत समझदार और पढ़े लिखे व्यक्ति हैं। वह हमारी पार्टी से सांसद हैं। किसी भाजपा नेता को दिल्ली में सांसद कोटे से सरकारी मकान दिलाने के लिए पत्र लिख दिया होगा। राजनीति में कभी-कभी दल से ऊपर उठकर भी कुछ काम करने पड़ते हैं। उनका वह पत्र भी उसी का एक हिस्सा है। मगर, 2027 में सपा की यूपी में सरकार बन रही है। सांसद नीरज मौर्य भाजपा में जाने की गलती नहीं करेंगे।
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