/young-bharat-news/media/media_files/2025/04/06/yzuXHjXJxCOSsRseCSz6.jpg)
00:00
/ 00:00
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
बरेली, वाईबीएन संवाददाता
कोतवाली क्षेत्र में पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान तीन शातिर वाहन चोरों को गिरफ्तार किया है। मुठभेड़ के दौरान एक आरोपी के पैर में गोली लग गई। जिसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से एक तमंचा, जिंदा कारतूस, नौ चोरी की मोटरसाइकिलें, एक स्कूटी, कई वाहन स्पेयर पार्ट्स, मोबाइल फोन तथा चेसिस और इंजन नंबर बदलने के लिए प्रयुक्त डाई बरामद की है। पुलिस का मानना है कि यह गिरोह लंबे समय से क्षेत्र में वाहन चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहा था।
शनिवार रात इंस्पेक्टर क्राइम लव सिरोही को मुखबिर के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई कि इस्लामिया ग्राउंड स्थित एक खंडहरनुमा भवन में कुछ संदिग्ध व्यक्ति चोरी की मोटरसाइकिलों के रजिस्ट्रेशन और चेसिस नंबर में हेराफेरी कर रहे हैं। सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम मौके पर पहुंची और आरोपियों को पकड़ने का प्रयास किया। इसी दौरान एक आरोपी ने पुलिस पर जानलेवा फायरिंग कर दी, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। हालांकि पुलिस ने साहसिकता दिखाते हुए आरोपियों को घेरकर दबोच लिया।
कोतवाली पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई करते हुए फायरिंग की। जिसमें बारादरी क्षेत्र के रबड़ी टोला निवासी तस्लीम उर्फ मुन्ना पुत्र अहमद खान के दाहिने पैर में गोली लग गई। घायल तस्लीम को तुरंत प्राथमिक उपचार के लिए जिला अस्पताल भिजवाया गया। मौके पर मौजूद उसके दो अन्य साथियों इज्जतनगर के फरीदापुर चौधरी निवासी इमरान पुत्र लियाकत अली और परतापुर चौधरी निवासी तौकीब पुत्र सद्दीक को भी पुलिस ने मौके से गिरफ्तार कर लिया। तीनों आरोपियों से पूछताछ जारी है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने एक 315 बोर का तमंचा, दो खोखा कारतूस, एक जिंदा कारतूस, कुल नौ चोरी की मोटरसाइकिलें, एक एक्टिवा स्कूटी, विभिन्न वाहनों के स्पेयर पार्ट्स, एक अलग किया गया इंजन, चेसिस व इंजन नंबर बदलने के लिए उपयोग की जाने वाली डाई और तीन मोबाइल फोन बरामद किए हैं। इन सामानों से स्पष्ट होता है कि आरोपी एक संगठित वाहन चोरी गिरोह का हिस्सा थे। जो चोरी के वाहनों की पहचान मिटाकर उन्हें दोबारा बेचने की योजना में लगे थे।