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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। केस एक/ शर्मा जी सुबह स्कूटी से सब्जी लेने के लिए घर से निकले। उनको सीबीगंज से बरेली कॉलेज नगर निगम सब्जी मंडी आना था। किला और चौपला पुल के बीच उनकी स्कूटी गड्ढे में चली गई। उनके हाथ पैर छिल गए। पैर की हड्डी टूटने से बची।
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केस दो/ वर्मा जी एक विभाग में इंजीनियर हैं। वह मोहल्ला संजय नगर में रहते हैं। यहां सड़क के किनारे कूड़ा पड़ता है। मारे बदबू के निकल नही पाते। जबकि नगर निगम से डोर टू डोर कूड़ा उठाने के दावे किए जाते हैं। बाहर कही भी कूड़ा डालने की मनाही है।
नगर निगम चुनाव के समय बरेली को सिंगापुर की तरह स्मार्ट सिटी बनाने के दावे किए गए थे। इसके लिए अब तक 2000 करोड़ से ज्यादा का बजट भी ठिकाने लग चुका है। मगर, बरेली अभी भी बदहाल है। यहां गली नुक्कड़ और मोहल्लों की तो छोड़ो, मुख्य सड़के तक बदहाल हैं। शहर में ऐसी कोई सड़क नहीं है, जो नई बनी होने के बाद भी टूटी फूटी न हो। नगर निगम से जो नई सड़के बनी हैं। उनमें गुणवत्ता विहीन और निर्धारित मानक से कम घटिया सामग्री लगी थी। बरसात से पहले शहर में जो भी सड़के बनी थी। उनमें अधिकांश गड्ढे हैं या फिर वह टूट चुकी है। दो पहिया या चार वाहन इनमें हिचकोले खाते हुए चलते हैं। स्कूटी, बाईक या साइकिल सवार तो कब गड्ढों में गिरकर अपने हाथ पैर तुड़वा लें। कोई पता नहीं।
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बरेली की सड़कों का बहुत बुरा हाल है। नगर निगम जो भी सड़के बनाता है, उनमें निर्धारित मानक से कम, गुणवत्ता विहीन और घटिया निर्माण सामग्री लगी होती है। ये सड़कें एक ही बरसात में ध्वस्त हों जाती हैं। सड़कें टूटने या गड्ढे होने की प्रमुख वजह यह है कि निर्माण के टाइम ठेकेदार से नगर निगम में नीचे से ऊपर तक मोटा कमीशन जाता है। इसके बाद में ठेकेदार को भी अपना मुनाफा लेना होता है। सड़क और नाली निर्माण पर कूल का बमुश्किल 30 परसेंट बजट ही खर्च होता है। स्मार्ट सिटी योजना के कामों का भी बुरा हाल है। नगर निगम की इसी अव्यवस्था से शहरवासियों का बुरा हाल है। कोई सुनने वाला नहीं है।
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1 चौपला से किला रोड
2 श्यामगंज मार्केट से साहू रामस्वरूप डिग्री कॉलेज रोड
3 मिर्ची बजार रोड
4 प्रेम नगर धर्मकांटा रोड
5 पीलीभीत बाईपास रोड से संजय नगर मोड़ होते हुए सौ फूटा तक
6 आला हजरत अस्पताल रोड
ऐसी दो दर्जन से अधिक मुख्य मार्ग की सड़के बदहाल हैं। बाकी जो नई सड़कें बनी हैं। वह भी टूट रही हैं।