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योगीराज कृष्ण की रास लीला सांसारिक नही, पारलौकिक लीला, आचार्य अवधेश कृष्ण

योगीराज कृष्ण वृंदावन में गोपीकाओं के साथ रासलीला खेलते थे। यह रासलीला कोई सांसारिक लीला नहीं थी, बल्कि यह पारलौकिक लीला थी। भगवान की रासलीला को समझ पाना किसी सांसारिक व्यक्ति के बस की बात नहीं है।

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Sudhakar Shukla
bareilly thaktha
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। योगीराज कृष्ण वृंदावन में गोपीकाओं के साथ रासलीला खेलते थे। यह रासलीला कोई सांसारिक लीला नहीं थी, बल्कि यह पारलौकिक लीला थी। भगवान की रासलीला को समझ पाना किसी सांसारिक व्यक्ति के बस की बात नहीं है। उसको समझने के लिए भगवान की भक्ति चाहिए। उस रासलीला को भगवान या भक्त ही समझ सकते हैं।

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श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य अवधेश कृष्ण जी का प्रवचन

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श्रीमद्भागवत कथा में आज  वृंदावन से पधारे आचार्य श्री अवधेश कृष्ण जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण का रास वर्णन किया। कथा व्यास महाराज जी ने कहा कि योगीराज भगवान कृष्ण की रासलीला आध्यात्मिक का एक सागर है। इसमें जो भी डुबकी लगाएगा, वह भगवान की भक्ति को प्राप्त करेगा।  रासलीला कोई सांसारिक लीला नहीं है। अपितु भगवान के द्वारा पारलोकिक लीला का दर्शन कराना है । भगवान ने बड़े बड़े राक्षसों का वध किया था।

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अंत में बड़े ही धूमधाम से भगवान श्रीकृष्ण  रुक्मणी का विवाह महोत्सव मनाया गया । कार्यक्रम में साकेत सुधांशु शर्मा ,अजय शर्मा ,नीतू गंगवार ,रवि कपूर ,राजेंद्र सिंह ,अशोक सक्सेना ,सतीश चंद्र गुप्ता ,एस आर सिंह आदि उपस्थित थे।

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