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पटना, वाईबीएन नेटवर्क
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार, 5 फरवरी को पटना में स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में सामाजिक समानता और दलित प्रतिनिधित्व के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि देश के पावर स्ट्रक्चर में दलितों की वास्तविक भागीदारी नहीं है। चाहे शिक्षा, स्वास्थ्य, न्यायपालिका या कॉरपोरेट सेक्टर हो, हर क्षेत्र में दलितों की उपस्थिति नगण्य है।
'मीडिया में दलितों का प्रतिनिधित्व नहीं'
राहुल गांधी ने मीडिया की संरचना पर सवाल उठाते हुए कहा, "हमारे देश की बड़ी मीडिया कंपनियों को राज्य सरकारों से भारी मात्रा में विज्ञापन दिए जाते हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं। लेकिन अगर इन मीडिया कंपनियों की लिस्ट निकाली जाए तो उनमें एक भी दलित मालिक नहीं मिलेगा।"
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'इतिहास में दलितों की गाथा को सीमित कर दिया गया'
इतिहास में दलितों के योगदान को उपेक्षित करने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि "हमारी स्कूल की किताबों में दलितों के इतिहास को सिर्फ दो-तीन लाइन में समेट दिया जाता है। क्या इतने छोटे वर्णन से उनके संघर्षों का सम्मान हो सकता है? क्या इससे उनके दर्द को मिटाया जा सकता है?"
#WATCH पटना, बिहार: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, "आज भारत की सत्ता संरचना में, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, कॉर्पोरेट हो, व्यापार हो, न्यायपालिका हो, आपकी भागीदारी कितनी है?...दलितों को प्रतिनिधित्व दिया गया है, लेकिन सत्ता संरचना में भागीदारी नहीं होने पर… pic.twitter.com/SgIt5ofRD3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 5, 2025
'असली ताकत से वंचित किया गया'
उन्होंने कहा कि "सरकारें दलितों को केवल सांकेतिक रूप से प्रतिनिधित्व देती हैं, लेकिन निर्णय लेने वाली वास्तविक शक्ति से उन्हें दूर रखा जाता है। लोकसभा में दलित सांसद हो सकते हैं, लेकिन क्या वे स्वतंत्र रूप से कोई निर्णय ले सकते हैं? 16% दलित आबादी के बावजूद, देश के शीर्ष 200 कॉरपोरेट कंपनियों के मालिकों में एक भी दलित या ओबीसी नहीं है।"
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'अमीरों का कर्ज माफ, लेकिन दलितों को नहीं'
राहुल गांधी ने आर्थिक असमानता का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने 25 बड़े उद्योगपतियों का 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया, लेकिन इस सूची में एक भी दलित उद्योगपति नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी जो कपड़े खरीदता है, वह उस पर भी जीएसटी देता है, लेकिन वही कपड़ा अगर किसी बड़े उद्योगपति द्वारा खरीदा जाए, तो वह भी उसी टैक्स ढांचे में आता है।
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