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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भाजपा नेता अमित मालवीय ने भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ की है और विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने RBI की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत का चालू खाता पिछली तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही) में 13.5 बिलियन डॉलर के अधिशेष (surplus) पर पहुंच गया है। इस बीच, विपक्ष भारत के "दिवालिया" और "खत्म" होने के बारे में बेबुनियाद षड्यंत्र के सिद्धांत फैला रहा है।
विपक्ष पर निशाना
भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने मार्च तिमाही के अधिशेष में हुई बढ़ोतरी का क्रेडिट पीएम मोदी को देते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की आर्थिक बुनियाद की ताकत है। मालवीय ने कहा कि उन्हें (विपक्ष को) यह बताते हुए दुख हो रहा है - भारत आगे बढ़ रहा है, फल-फूल रहा है और नेतृत्व कर रहा है।
India’s current account swung into a surplus of $13.5 billion in the last quarter (Q4 FY25).
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 30, 2025
That’s the strength of India’s economic fundamentals under PM Modi’s leadership.
Meanwhile, the opposition continues to peddle wild conspiracy theories about India being “bankrupt” and… pic.twitter.com/vy4tB5JEND
GDP का 1.3% अधिशेष
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च 2025) में चालू खाता (Current Account) में 13.5 अरब डॉलर यानी GDP का 1.3% अधिशेष (surplus) दर्ज किया है। यह पिछले साल की समान तिमाही के 4.6 अरब डॉलर (GDP का 0.5%) के अधिशेष की तुलना में काफी अधिक है। साथ ही, यह अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तिमाही में दर्ज 11.3 अरब डॉलर (GDP का 1.1%) के घाटे (deficit) से भी बड़ा पलटाव है।
सेवा क्षेत्र ने किया अच्छा प्रदर्शन
RBI के अनुसार, यह अधिशेष मुख्य रूप से सेवाओं के निर्यात में मजबूती और प्राथमिक आय खाते में कम शुद्ध बहिर्गमन (net outgo) की वजह से देखने को मिला। हालांकि माल निर्यात (merchandise exports) में थोड़ी नरमी रही, लेकिन सेवाओं के क्षेत्र ने अच्छा प्रदर्शन किया।
कितना घाटा हुआ?
पूरे वित्त वर्ष 2024-25 की बात करें तो भारत का चालू खाता घाटा 23.3 अरब डॉलर (GDP का 0.6%) रहा, जो कि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 26.0 अरब डॉलर (GDP का 0.7%) के घाटे से थोड़ा बेहतर है। इस सुधार का मुख्य कारण सेवाओं और द्वितीयक आय (जैसे कि प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजा गया धन) से प्राप्त अधिक शुद्ध आय रहा है। यह आंकड़े भारत की बाहरी अर्थव्यवस्था की मजबूती की ओर इशारा करते हैं, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार और वित्तीय परिस्थितियां अस्थिर बनी हुई हैं।