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भारतीय शेयर मार्केट को भी अप्रत्यक्ष रूप से बड़ा लाभ होगा...

भारत ने पाकिस्तान के ऊपर अपनी सामरिक श्रेष्ठता निर्णायक तथा पूर्णतया सिद्ध कर दी। इनका भारतीय शेयर मार्केट को भी अप्रत्यक्ष रूप से बड़ा लाभ होगा, लघु अवधि से ले कर दीर्घ अवधि में भी।

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Shashank Bhardwaj
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Shashank Bhardvaj

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अंततः भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर आक्रमण किया ,पाकिस्तानी प्रत्युत्तर को विफल कर उसकी हवाई पट्टियों,कुछ अन्य महत्वपूर्ण सैनिक ठिकानों को बड़ी क्षति पहुंचाई तथा सप्ताहअंत में पाकिस्तान के युद्धविराम की गुहार के साथ युद्धविराम हो गया। भारत ने पाकिस्तान के ऊपर अपनी सामरिक श्रेष्ठता निर्णायक तथा पूर्णतया सिद्ध कर दी। इनका भारतीय शेयर मार्केट को भी अप्रत्यक्ष रूप से बड़ा लाभ होगा, लघु अवधि से ले कर दीर्घ अवधि में भी।
युद्ध अधिक दिनों तक चलने से अर्थव्यवस्था प्रभावित तो होती ही है, युद्ध का एक बड़ा व्यय भी होता है। इनसे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नकारात्मक प्रभावों से शेयर मार्केट में गिरावट की संभावना हो ही जाती है।

घरेलू निवेशकों ने की बिकवाली

यद्यपि राष्ट्र हित सर्वोच्च होने चाहिए,होते हैं परंतु शेयर मार्केट परिस्थितियों के अनुरूप व्यवहार करने को विवश होते हैं। वैसे भारत में युद्ध में राष्ट्रवाद बहुत प्रबल हो जाता है।संभवतः इसीलिए पिछले सप्ताह घरेलू निवेशकों के द्वारा बिकवाली नहीं देखी गई। पिछले सप्ताह उन्होंने नकद संभाग में 10452 करोड़ रुपए के शेयर क्रय किए।पहले भी वो खरीदते रहें हैं परंतु तब युद्ध आक्रमण नहीं था। विदेशी संस्थागत निवेशक भी आश्चर्यजनक रूप से क्रेता ही रहे।उन्होंने भी नकद संभाग में 5087 करोड़ रुपए की खरीद ही की। दोनों निवेशकों ने मिलकर 15140 करोड़ रुपए का क्रय किया। इसका एक संकेत यह भी है कि इतनी बड़ी राशि के शेयर अपेक्षाकृत अधिक सुदृढ़ हाथों में गए । अब शनिवार को युद्ध विराम तथा रविवार तक उसके बने रहने से भारतीय शेयर मार्केट में एक अच्छी तेजी दिख सकती है। stock | stock market | stock market india | stock market news | stock market rate | stock market today

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दुर्बल निवेशकों की घबराहट से होती है  बिकवाली 

युद्ध सी स्थिति में दुर्बल निवेशकों की घबराहटपूर्ण बिकवाली आती है, मंदी के भी बहुत सौदे होते हैं। अब युद्ध समाप्त सा दिखता है, यदि कोई नया युद्ध घटनाक्रम नहीं हुआ तो भारतीय शेयर मार्केट में बड़ा उछाल दिखेगा। इसका कारण यह  भी है कि बहुत से अन्य कारक भी सकारात्मक बने हुए हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक क्रेता बने हैं,अमेरिकी मार्केट चढ़े हैं,मुद्रास्फीति मे कमी है,अच्छे मानसून की भविष्यवाणी है,म्यूचुअल फंड में अप्रैल में 26632 करोड़ रुपए का कीर्तिमान निवेश आया है,म्यूचुअल फंड प्रबंधन 70 लाख करोड़ रुपयों का हो गया है,क्रूड के मूल्यों में कमी है, रुपया डॉलर की तुलना में उल्लेखनीय शक्तिशाली हुआ है,ब्याज दरों में कमी की संभावना है, ट्रंप टैरिफ का भय कम हो रहा,भारत ने अमेरिका तथा इंग्लैंड से व्यापारिक समझौते किए हैं ,इत्यादि।

रक्षा क्षेत्र के लिए दीर्घ अवधि में अच्छा मौका

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लगता है, अब मार्केट सारे सिलेंडर फायर करने की दशा में आने वाला है। इस युद्ध में भारतीय शस्त्रों की श्रेष्ठता रक्षा क्षेत्र के लिए दीर्घ अवधि में अच्छी सिद्ध हो सकती है।अब युद्धविराम की दशा में यदि रक्षा क्षेत्र के शेयरों में कोई गिरावट आती है तो उनमें विभिन्न स्तरों में क्रय किया जा सकता है।तेल वितरण कंपनिया जो युद्ध अवधि में गिर गई थी,उनमें खरीद की जा सकती है। पीएसयू आकर्षक स्तरों पर हैं ही। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के शेयर इक्कठे किए जाने चाहिए। बीएसई जिसका शेयर मार्केट सौदों में 5 से 6 प्रतिशत हिस्सा है तथा उसके 88969 करोड़ के पूंजीकरण से तुलना करें  तो इस मानकों पर एनएससी, जिसका मार्केट शेयर 95 प्रतिशत है,उनका मार्केट पूंजीकरण बहुत ही सस्ता लग रहा है।
तकनीकी आधार पर भारतीय शेयर मार्केट अच्छे लग रहें हैं। युद्ध सप्ताह में भी निफ्टी में कोई बड़ी गिरावट नहीं दिखी।9 मई शुक्रवार को अवश्य निफ्टी में 265 अंकों की कमी आई परंतु उस दिन भी मार्केट जिन निचले स्तरों पर खुला था,वहां से 73 अंक चढ़ा।

मार्केट अपनी शक्ति दिखा सकते हैं

अब जब स्थितियां अनुकूल होती जा रहीं है, मार्केट अपनी शक्ति दिखा सकते हैं। निफ्टी अपने 200 दिनों के मूविंग एवरेज 23691 से ऊपर है,24400 के ऊपर जाने से अधिकांश मूविंग एवरेज के ऊपर हो जायेगा। इंडिया विक्स 21.63 के उच्च स्तरों पर है जो युद्ध स्थिति में स्वाभाविक है।आने वाले दिनों में इसके अच्छे नीचे आने की संभावना है।यह भी तेजी में सहायक होगा।डॉलर इंडेक्स 100.42 के निचले स्तरों पर ही है।कच्चा तेल 58.40 डॉलर प्रति बैरेल के निचले स्तर से थोड़ा बढ़ 63.91 डॉलर प्रति बैरेल है।

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अमेरिका में ब्याज दरों में बड़ी कमी होगी 

यूएस बॉन्ड यील्ड 4.38 है। एक बार अमेरिका में ब्याज दरों में बड़ी कमी होगी तो यह नीचे आ सकती है। मध्यम अवधि में लगातार गिरावट देख रहे भारतीय शेयर मार्केट ,विशेषकर शेयर विशेष में अब अच्छा उछाल आ सकता है।
आक्रामक निवेश भी कर सकते हैं। भारत की अच्छी तेज आर्थिक वृद्धि दर की कोई भी बुद्धिमान निवेशक श्रेणी अवहेलना,उपेक्षा नहीं कर सकती है। जहां मार्केट में ,शेयर अब बढ़ेंगे, की अवधारणा विस्तृत तथा प्रबल हुई,तेजी व्यापक होने लगेगी। अंत में,जय भारत जय भारतीय शेयर मार्केट क्योंकि बढ़ता शेयर मार्केट भारतीयों की आर्थिक समृद्धि का वाहक भी होता है।

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