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भारत में निवेश बैंकों की ग्रोथ बढ़ाने में पब्लिक सेक्टर निभा रहा अहम भूमिका: Report

भारत में निवेश बैंकों की ग्रोथ को आगे बढ़ाने में पब्लिक सेक्टर अहम भूमिका निभा रहा है। इसकी वजह सरकार की विनिवेश योजना और मजबूत घरेलू प्रवाह होना है। दीपम ने वित्त वर्ष 26 के लिए 47,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है।

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YBN News
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मुंबई, आईएएनएस

भारत में निवेश बैंकों की ग्रोथ को आगे बढ़ाने में पब्लिक सेक्टर अहम भूमिका निभा रहा है। इसकी वजह सरकार की विनिवेश योजना और मजबूत घरेलू प्रवाह होना है। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।  

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निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने वित्त वर्ष 26 के लिए 47,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है, जो निवेश बैंकों को अच्छे अवसर प्रदान कर रहा है।

ओएफएस ने बाजार को सक्रिय बनाए रखा

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एमके इन्वेस्टमेंट बैंकिंग की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में एलआईसी और इरेडा जैसी प्रमुख सार्वजनिक कंपनियों के आईपीओ के साथ-साथ आईआरसीटीसी, ओएनजीसी, एचएएल और कोल इंडिया जैसी कंपनियों में सरकार द्वारा किए गए ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) ने बाजार को सक्रिय बनाए रखा है।

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत कोकिंग कोल, सीएमपीडीआई, एमएनजीएल, आईआरईडीए और कई बैंकों के आगामी आईपीओ और फंड जुटाने की गतिविधियों से वित्त वर्ष 26 और उसके बाद निवेश बैंकिंग की वृद्धि को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

इक्विटी बाजारों में निवेशकों की मजबूत भागीदारी जारी

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रिपोर्ट में आगे कहा गया कि भारत के इक्विटी बाजारों में निवेशकों की मजबूत भागीदारी जारी है। 2024 में 92 आईपीओ ने सामूहिक रूप से 1.62 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई है, जबकि 1.36 लाख करोड़ रुपये क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के माध्यम से जुटाए गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के समर्थन से बाजार लगातार मजबूत बने हुए हैं।

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बीते 11 महीने से एसआईपी निवेश लगातार 20,000 करोड़ रुपये से ऊपर बना हुआ है और बीते पांच महीनों से 25,000 करोड़ रुपये से अधिक बना हुआ है। यह बाजार को लेकर निवेशकों के आत्मविश्वास को दिखाता है।

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फाइनेंशियल सेक्टर को बूस्ट मिलेगा

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) भी बाजार को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वित्त वर्ष 25 में डीआईआई ने 5.7 लाख करोड़ रुपये का निवेश शेयर बाजार में किया है। रिपोर्ट के अनुसार, रेपो रेट में कटौती और एनबीएफसी लोन पर जोखिम भार में कटौती से फाइनेंशियल सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।

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