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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
सरकार ने भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (SEBI) के अध्यक्ष पद के लिए सोमवार को आवेदन मांगे हैं। सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच का तीन साल का कार्यकाल 28 फरवरी को पूरा हो रहा है। बुच ने दो मार्च 2022 को सेबी प्रमुख का पदभार संभाला था। बुच ने दो मार्च 2022 को सेबी प्रमुख का पदभार संभाला था। वित्त मंत्रालय के अधीन आर्थिक मामलों के विभाग ने सार्वजनिक विज्ञापन में उम्मीदवारों से 17 फरवरी तक आवेदन देने को कहा है।
मंत्रालय ने सार्वजनिक विज्ञापन द्वारा मांगे आवेदन
मंत्रालय द्वारा जारी सार्वजनिक विज्ञापन के अनुसार, "नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से अधिकतम पांच वर्ष की अवधि या नियुक्त व्यक्ति की 65 वर्ष की आयु होने तक (जो भी पहले हो) के लिए की जाएगी।" विज्ञापन में कहा गया है कि नियुक्त चेयरपर्सन को भारत सरकार के सचिव के बराबर वेतन मिलेगा, जो 5,62,500 रुपये प्रति माह (मकान व कार के बिना) है। मंत्रालय ने कहा, एक नियामक के रूप में सेबी की भूमिका तथा महत्व को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार के पास "उच्च निष्ठा, प्रतिष्ठा के साथ 50 वर्ष से अधिक का अनुभव तथा 25 वर्ष से अधिक का पेशेवर अनुभव होना चाहिए। इसमें ये भी कहा गया है कि उम्मीदवार के पास "प्रतिभूति बाजार से संबंधित समस्याओं से निपटने की क्षमता होनी चाहिए या कानून, वित्त, अर्थशास्त्र, लेखाशास्त्र का विशेष ज्ञान या अनुभव होना चाहिए जो केंद्र सरकार की राय में बोर्ड के लिए उपयोगी होगा।" साथ ही जारी विज्ञापन के अनुसार, "चेयरपर्सन ऐसा व्यक्ति होना चाहिए, जिसका कोई ऐसा वित्तीय या अन्य हित न हो, जिससे उसके पद पर रहते हुए उसके कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका हो।" इसमें कहा गया है कि सरकार वित्तीय क्षेत्र विनियामक नियुक्ति खोज समिति (एफएसआरएएससी) की सिफारिश पर सेबी प्रमुख की नियुक्ति करेगी। समिति योग्यता के आधार पर किसी अन्य व्यक्ति की भी सिफारिश करने के लिए स्वतंत्र है, जिसने पद के लिए आवेदन नहीं किया है।
कौन है मौजूदा SEBI चेयरपर्सन
माधबी पुरी बुच सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन हैं। बुच सेबी का नेतृत्व करने वाली वह पहली महिला चेयरपर्सन रहीं। इसके अलावा नियुक्त होने वाली प्राइवेट सेक्टर की वे पहली शख्स भी हैं। अप्रैल 2017 तक बुच सेबी के पूर्व चीफ अजय त्यागी के साथ सेबी के सदस्य के रूप में काम कर रही थीं, जिनके रिटायरमेंट के बाद उन्होंने शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था सेबी के प्रमुख का पदभार संभाला। माधबी सेबी की होलटाइम डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुकी हैं। वो चीन के शंघाई में न्यू डेवलपमेंट बैंक की सलाहकार भी रह चुकी हैं। उन्होंने निजी इक्विटी फर्म ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल के सिंगापुर कार्यालय के प्रमुख के रूप में भी काम किया है। आईसीआईसीआई समूह के साथ बुच लंबे समय तक जुड़ी रही हैं। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड में एमडी और सीईओ और आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड में कार्यकारी निदेशक के रूप में भी उन्होंने काम किया हैं। सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रैजुएट माधबी पुरी बुच ने आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री हासिल की है।
SEBI चीफ बुच का विवादित कार्यकाल
अदाणी के साथ कनेक्शन
अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारत के शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के ऊपर वार किया था। हिंडनबर्ग ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर दावा किया था कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है। ये आरोप भी लगाया गया था कि ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अदानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अदानी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था। हालांकि बुच ने इन आरोपों को "निराधार" और "चरित्र हनन" का प्रयास बताया है। SEBI चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, 'हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है।'
सेबी चीफ रहते तीन जगहों से सैलरी लेने का आरोप
SEBI चीफ माधबी पुरी बुच पर कांग्रेस पार्टी ने भी आरोप लगाए थे। कॉग्रेस ने SEBI से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया था। कॉग्रेस स्पोक्सपर्सन खेड़ा ने कहा था, 'माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं। फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच SEBI की चेयरपर्सन बनीं। SEBI की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट में PM मोदी और अमित शाह शामिल हैं।' हालांकि, सेबी चीफ और ICICI बैंक दोनों ने आरोपों को नकार दिया। बैंक ने कहा, 'बैंक से रिटायर होने के बाद माधवी को कोई सैलरी या एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन नहीं दिया गया। उन्होंने सिर्फ रिटायरमेंटल बेनिफिट्स लिए।'