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Union Budget 2025: सरकार दे सकती है Middle Class के लिए बड़ी खुशखबरी

टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देने के लिए आगामी केंद्रीय बजट 2025-2026 में टैक्स पॉलिसी में बदलाव देखने को मिल सकता है। बजट 2025 में टैक्स स्लैब्स में बदलाव से मिडल क्लास को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

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Manish Tilokani
NIRMNALA BUDGET RAHAT
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2025-26 से मध्‍यम वर्ग को काफी आस है। पिछले तीन बजट में मिडिल क्‍लास को कोई बड़ी राहत नहीं मिली है। हालांकि इस बार टैक्स स्लैब्स में बदलाव से मिडल क्लास को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। सरकार इनकम टैक्स स्लैब्स में बदलाव पर विचार कर रही है, जिससे सालाना 20 लाख रुपये तक कमाने वाले सैलरीड टैक्सपेयर्स को फायदा हो सकता है। 

आने वाला है नया टैक्स स्लैब 

एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार फिलहाल दो प्रमुख विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला, 10 लाख रुपये तक की सालाना आय को पूरी तरह टैक्स-फ्री करना। दूसरा, 15 से 20 लाख रुपये की आय पर 25% का नया टैक्स स्लैब लाना। वर्तमान में 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्स लगता है। अगर बजट अनुमति देता है, तो दोनों ही विकल्प लागू किए जा सकते हैं। इसके लिए सरकार 50,000 करोड़ रुपये से 1 लाख करोड़ रुपये तक के रेवेन्यू लॉस को तैयार है। यह कदम न केवल लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधार सकता है, बल्कि धीमी हो रही अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा देगा।

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अभी इतना देना होता है टैक्स

2023 में वित्त मंत्री ने Section 87A के तहत रिबेट बढ़ाकर 7 लाख रुपये तक की आय को टैक्स-फ्री किया था, लेकिन इसके लिए ज्यादातर डिडक्शन्स छोड़ने की शर्त थी। अब नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक की आय को टैक्स-फ्री किया जा सकता है। वर्तमान में 7.75 लाख रुपये तक की आय वालों को टैक्स नहीं देना पड़ता। वहीं 15 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक की आय 30% के उच्चतम कर स्लैब के अंतर्गत आती है। 

अर्थव्‍यवस्‍था में होगा सुधार 

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अगर सरकार टैक्‍स छूट का दायरा बढ़ाती है या नया स्‍लैब लाती है तो इससे शहरी खपत को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। खासकर तब, जब देश की GDP ग्रोथ धीमी हो रही है। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 5.4% रही, जो सात तिमाहियों में सबसे कम है। टैक्स रियायत से लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और इकनॉमी को मजबूती मिलेगी। 

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