नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को केंद्रीय बजट 2025 पेश करेंगी। इससे पहले, पुराने टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) और नए टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बीच, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) की नई रिसर्च रिपोर्ट सामने आई है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार पुराने टैक्स रिजीम के तहत सभी छूटों को खत्म कर सकती है और उन्हें नए टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में बदल सकती है।
रिपोर्ट में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) की सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने और धारा 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस डिडक्शन को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये करने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा, SBI रिसर्च ने 10-15 लाख रुपये की इनकम लिमिट के लिए टैक्स की रेट को घटाकर 15% करने और सभी बैंक डिपॉजिट्स पर एक समान 15% कर टैक्स लागू करने का प्रस्ताव रखा है। एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने रिपोर्ट में कहा, 'हमारा अनुमान है कि भारत सरकार नई टैक्स व्यवस्था के तहत सभी को शामिल करके, इनकम ग्रोथ में बेहतर टैक्स अनुपालन सुनिश्चित कर सकती है और कंजम्पशन को बढ़ावा दे सकती है।' यह संभव है कि इस तरह के उपाय को लागू करने से सरकार के टैक्स रेवेन्यू में थोड़ी कमी आ सकती है।
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बदलाव के लिए दिए गए सुझाव
एसबीआई (SBI) रिसर्च में आगामी बजट में सरकार के लिए विचार करने के लिए कई टैक्स-रिलीफ करने वाले उपाय सुझाए गए हैं:
- नई टैक्स व्यवस्था के तहत सभी छूटों को शामिल किया जाएगा। साथ ही एनपीएस सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया जाएगा तथा चिकित्सा बीमा छूट को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया जाएगा।
- 15 लाख रुपये से अधिक की इनकम के लिए हाईएस्ट टैक्स रेट को 30% पर बनाए रखें, लेकिन 10-15 लाख रुपये की इनकम के लिए दर को 20% से घटाकर 15% करें।
- सभी मैच्योर पीरियड में बैंक जमा पर एक समान 15% कर लागू करें। इस इनकम को अन्य इनकम में जोड़ा जाना चाहिए और उच्चतम आय वर्ग से अलग किया जाना चाहिए।
- सेविंग अकाउंट में जमा राशि पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 20,000 रुपये की जाए।
पुरानी टैक्स व्यवस्था का क्या?
सरकार द्वारा पुरानी टैक्स व्यवस्था को समाप्त करने के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, इसके भविष्य को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। साल 2020 के केंद्रीय बजट में पेश की गई नई टैक्स व्यवस्था, पिछले सिस्टम के तहत उपलब्ध छूट और कटौती के बिना भी कम टैक्स रेट पेश करती है। इसके बावजूद कई टैक्सपेयर्स अभी भी पुराने सिस्टम को पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें धारा 80सी और 80डी के तहत कई तरह के डिडक्शनस के साथ-साथ छूट उपलब्ध हैं।