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Delhi Court - महिलाओं का छोटे कपड़े पहनना - बार में नाचना कोई अपराध नहीं

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतू शर्मा ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि महिलाओं का छोटे कपड़े पहनकर बार में डांस करना कोई अपराध नहीं है। जब तक उससे किसी को परेशानी न हो रही हो।

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Deepak Gaur
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नई दिल्ली , वाईबीएन नेटवर्क । 

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दिल्ली की एक अदालत ने एक डिस्को में अश्लील नृत्य करने की आरोपी 7 महिलाओं को बरी करते हुए कहा कि महिलाओं का छोटो कपड़े पहनना और बार में नाचना कोई अपराध नहीं है । कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष इस बात को साबित करने में नाकाम रहा है कि इन महिलाओं ने कोई अपराध किया है । इन महिलाओं को न तो छोटे कपड़े पहनने पर दंडित किया जा सकता है न ही इन्हें गानों पर नाचने के लिए दंड दिया जा सकता है ।

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तीस हजारी कोर्ट से आया मामला सामने

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बता दें कि दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतू शर्मा की कोर्ट में एक मामला आया था , जिसमें पहाड़गंज पुलिस ने 7 महिलाओं पर भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत मामला दर्ज किया था । इसके अनुसार , किसी सार्वजनिक स्थल पर किसी को परेशान करने के लिए किया गया अश्लील कृत्य अपराध होता है । पुलिस ने इन महिलाओं पर आरोप लगाया था कि इन्होंने एक बार में गानों पर अश्लील डांस किया , जिससे अश्लीलता फैल रही थी । हालांकि पुलिस ने इस मामले में एसआई धर्मेंद्र के किए गए दावों को खारिज कर दिया ।

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दंड तब जब किसी को परेशानी हो

अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतू शर्मा ने पुलिस की ओर से पेश इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि न तो छोटे कपड़े पहनना कोई अपराध है न ही छोटे कपड़े पहनकर डांस करना । इसके लिए दंड नहीं दिया जा सकता । भले ही ऐसा डांस सार्वजनिक रूप से ही क्यों न किया जा रहा हो, ऐसा तब तक है जब किसी को इस डांस से परेशानी न हो रही हो । अगर इससे किसी को परेशानी हो रही हो और वो इसकी शिकायत करे तो तब जाकर दंड की बात आती है ।

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कोर्ट ने कहा - पुलिस ने एक कहानी गढ़ी

वहीं अभियोजन पक्ष ने जिन दो गवाहों को पेश किया उन लोगों का भी कहना था कि वह उस बार में मजे के लिए गए थे । उन्हें महिलाओं के डांस के बारे में कुछ नहीं पता । इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस ने एक कहानी गढ़ी लेकन उसे जनता का समर्थन नहीं मिल पाया । इस दौरान कोर्ट ने पुलिस द्वारा बार में मौजूद अन्य लोगों को अपनी जांच में शामिल नहीं किए जाने पर भी सवाल उठाए । इसके साथ ही कोर्ट ने बार के संचालक को भी संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया । 

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