Advertisment

ग्रेटर नोएडा में 22 साल से बंद पड़ी कंपनी से 980 पेड़ काटने से NGT खफा, अफसरों को किया तलब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT)ने कहा है कि ग्रेटर नोएडा में 980 पेड़ों की अवैध कटाई को उत्तर प्रदेश के प्राधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। चीफ फॉरेस्ट अफसर को व्यक्तिगत रूपसे पेशी का आदेश

author-image
Mukesh Pandit
 tribunal

Photograph: (File)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

Advertisment

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT)ने कहा है कि ग्रेटर नोएडा में 980 पेड़ों की अवैध कटाई को उत्तर प्रदेश के प्राधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया।  ट्रिब्यूनल ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को 13 मई को उसके समक्ष वाडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होकर की गई कार्रवाई से अवगत कराने को कहा है।ग्रीन ट्रिब्यूनल  ग्रेटर नोएडा की डीसीएम (देवू मोटर्स) कंपनी परिसर में बड़ी संख्या में पेड़ों की अनधिकृत कटाई का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। यह कंपनी पिछले 22 वर्षों से बंद है। 

tribunal action
Photograph: (File)

 यह भी पढ़े:  Supreme Court: दूसरे पति से गुजारा भत्ता पाने में आड़े नहीं आएगी पहली शादी, जानिए SC ने क्या कहा

Advertisment

महज दो वाहनों पर हुई कारवाई

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं। उन्होंने कहा कि वन अधिकारियों द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद पाया गया कि 980 पेड़ काटे गए हैं और अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की लकड़ियां ले जा रहे केवल दो वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद भी थे। पीठ ने कहा, 'ऐसी लकड़ियां अधिकतम आठ से 10 अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की हो सकती हैं। इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वन विभाग ने 900 से अधिक अन्य पेड़ों से काटी गई लकड़ियों का पता लगाने के लिए क्या कार्रवाई की, न ही इस बात का पता चल पाया है कि अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की कटाई के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान के लिए क्या कदम उठाये गए हैं।

यह भी पढ़े: Supreme Court ने Assam सरकार को लगाई फटकार, 63 लोगों के निर्वासन के दिए आदेश

Advertisment

पेड़ों की कटाई के जिम्मेदार लोगों का  पता लगाएं

ग्रीन ट्रिब्यूनल  ने संबंधित अधिकारियों के जवाबों पर गौर किया और कहा कि 980 पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाने या लकड़ी को वापस लेने के लिए "पर्याप्त कार्रवाई" नहीं की गई है। पीठ ने कहा, इस मामले में अधिकारियों की ओर से चूक प्रतीत होती है। राज्य (उत्तर प्रदेश) के वकील जिस तरह से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के प्रश्नों का जवाब दे रहे हैं उससे हमें ऐसा लगता है कि 980 पेड़ों की कटाई से संबंधित मुद्दे को, जो बड़ी संख्या है, राज्य के अधिकारियों द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया है। 

यह भी पढ़े: Supreme Court का निर्देश, FIR से संबंधित जमानत अर्जियां हाई कोर्ट की एक ही पीठ में सुनें

Advertisment

मुख्य वन संरक्षक को किया तलब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि गौतमबुद्ध नगर के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) ने एक अलग जवाब दाखिल किया था, लेकिन पेड़ों को काटने के लिए दोषी व्यक्तियों का पता लगाने के प्रयासों के बारे में तथ्यों का खुलासा करने के बजाय उन्होंने कहा कि सील किए गए गेट की सुरक्षा में तैनात दो निजी सुरक्षा गार्ड की ओर से चूक हुई थी। अधिकरण ने कहा कि उसके समक्ष जो भी रिपोर्ट हैं उससे पता चलता है कि मामले में संतोषजनक प्रयास नहीं किए गए। उसने कहा, इसलिए, हम चाहते हैं कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्यक्तिगत रूप से मामले को देखें और अगली सुनवाई (13 मई) को अधिकरण के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिंग केमाध्यम  से पेश होकर हमें पेड़ों की कटाई की कानूनी स्थिति और की गई कार्रवाई के बारे में अवगत कराएं।

Advertisment
Advertisment