Advertisment

Supreme Court का निर्देश, FIR से संबंधित जमानत अर्जियां हाई कोर्ट की एक ही पीठ में सुनें

बड़ा निर्णय, Supreme Court ने शुक्रवार को कहा कि एक प्राथमिकी पर आधारित सभी जमानत अर्जियां उच्च न्यायालयों में एक ही न्यायाधीश या पीठ के समक्ष जानी चाहिए ताकि विचारों में एकरूपता सुनिश्चित हो सके।

author-image
Mukesh Pandit
Supreme Court

Supreme Court Photograph: (Google)

Listen to this article
00:00/ 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

Supreme Court ने शुक्रवार को कहा कि एक प्राथमिकी पर आधारित सभी जमानत अर्जियां उच्च न्यायालयों में एक ही न्यायाधीश या पीठ के समक्ष जानी चाहिए ताकि विचारों में एकरूपता सुनिश्चित हो सके। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने शीर्ष अदालत के तीन न्यायाधीशों की पीठ के जुलाई 2023 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि आदेशों में एकरूपता के लिए एक प्राथमिकी से संबंधित सभी मामलों को उच्च न्यायालय के एक ही न्यायाधीश के समक्ष भेजना उचित है। 

य़ह भी पढ़ें:Supreme Court: गोधरा कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई 13 फरवरी को

, "इसलिए हम स्पष्ट करते हैं कि यदि किसी विशेष उच्च न्यायालय में जमानत अर्जियां अलग-अलग एकल न्यायाधीशों/पीठों को भेजी जाती हैं, तो उस स्थिति में एक प्राथमिकी से संबंधित सभी अर्जियों को एक न्यायाधीश या एक पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट

इससे आदेशों में एकरूपता सुनिश्चित होगी

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "इसलिए हम स्पष्ट करते हैं कि यदि किसी विशेष उच्च न्यायालय में जमानत अर्जियां अलग-अलग एकल न्यायाधीशों/पीठों को भेजी जाती हैं, तो उस स्थिति में एक प्राथमिकी से संबंधित सभी अर्जियों को एक न्यायाधीश या एक पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए।" अदालत ने कहा कि इससे एक प्राथमिकी से संबंधित विभिन्न अर्जियों पर सुनाए गए आदेशों में एकरूपता सुनिश्चित होगी। हालांकि, यह निर्देश तब लागू नहीं होगा जब रोस्टर में बदलाव के कारण जमानत के मामलों पर गौर करने वाले न्यायाधीश जमानत के मामलों की नहीं बल्कि अन्य मामलों की सुनवाई करेंगे। 

Advertisment

जमानत अर्जी मामले में सुनवाई के बाद दिया आदेश

शीर्ष अदालत ने कहा, 'हालांकि, हम उम्मीद करते हैं कि विचारों में एकरूपता बनाए रखने के लिए, बाद में दायर अर्जियों पर सुनवाई करने वाले न्यायाधीश, उसी प्राथमिकी से संबंधित जमानत अर्जियों पर सुनवाई करने वाले पहले के न्यायाधीशों द्वारा जताए गए विचारों को उचित महत्व देंगे।" पीठ ने यह आदेश उस याचिका पर पारित किया जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी पिछले तीन महीने से झारखंड उच्च न्यायालय में लंबित है। याचिकाकर्ता के वकील ने उच्च न्यायालय में उसी न्यायाधीश के समक्ष लंबित मामले पर शीर्ष अदालत के आदेश का हवाला दिया और दलील दी कि उनके मुवक्किल की जमानत अर्जी उच्च न्यायालय के एक अन्य न्यायाधीश के समक्ष रखी गई थी, जबकि एक सह-आरोपी के मामले में एक अलग न्यायाधीश ने आदेश पारित किया था। 

य़ह भी पढ़ें:Lacknow: प्रेमिका ने बातचीत बंद की तो सनकी आशिक ने मां-बेटी को उतारा मौत के घाट

अलग-अलग पीठ में जाने से विषम स्थिति

Advertisment

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एक ही प्राथमिकी से संबंधित अर्जियों को अलग-अलग पीठों को सौंपने से एक विषम स्थिति पैदा हो गई, जहां कुछ पीठों ने जमानत दे दी और अन्य ने अलग दृष्टिकोण अपनाया। पीठ ने कहा कि अधिकांश उच्च न्यायालयों में रोस्टर प्रणाली का पालन किया जाता है और एक निश्चित अवधि के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति बदल जाती है। पीठ ने कहा कि जमानत मामलों की सुनवाई करने वाले एकल न्यायाधीश अगले रोस्टर में पीठ का हिस्सा हो सकते हैं। यह कदम मामलों की सुनवाई में एकरूपता लाने में काफी मददगार साबित होगा।

Advertisment
Advertisment