नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 7 साल की बेटी का यौन उत्पीड़न (sexual harassment) करने वाले डॉक्टर पिता की सजा निलंबित करने की याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इनकार कर दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि शराब पीने के बाद व्यक्ति हैवान जाता है। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने डॉक्टर को दोषी ठहराया है, इसलिए उन्हें इस मामले में कोई राहत देना उचित नहीं होगा।
कोर्ट बोला- वह सजा निलंबित करने का हकदार नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आरोपी एक विकृत व्यक्ति है, वह सजा निलंबित किए जाने का हकदार नहीं है। वह नशे में था। उसने बच्ची के साथ किस तरह की हरकत की है। वह किसी राहत का हकदार नहीं है। पीठ ने कहा कि बच्ची ने आपके मुवक्किल के खिलाफ बयान दिए हैं। पीठ ने कहा कि कोई अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे कर सकता है। वह एक छोटी बच्ची है, जिसने जिरह का सामना किया है। वह पिता के खिलाफ गवाही क्यों देगी। कोर्ट ने कहा कि शराब पीने के बाद आदमी जानवर बन जाता है। हमें यह नहीं कहना चाहिए, लेकिन हम सबसे उदार पीठ हैं। अगर हम जमानत नहीं दे रहे हैं, तो इसके पीछे कारण हैं।
शराब के नशे में हैवान बना था डॉक्टर
गौरतलब है कि डॉक्टर ने शराब के नशे में बेटी का यौन उत्पीड़न किया था। FIR में पीड़िता की मां ने अपने पति के ऊपर 7 साल की बेटी का यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। पीड़िता की मां वाराणसी में रहती है, जबकि उसका पति हल्द्वानी में रहता है, जहां वह एक नर्सिंग होम चलाता है। पीड़िता की मां ने आरोप लगाते हुए कहा था कि 23 मार्च, 2018 को डॉक्टर बेटी को अपने साथ हल्द्वानी ले गया और 30 मार्च को अपनी पत्नी को फोन करके उसे वापस ले जाने के लिए कहा। वापस आने पर बच्ची ने अपनी मां को बताया कि उसका पिता एक बुरा व्यक्ति है और उसने उसे गलत तरीके से छुआ। आरोपी डॉक्टर की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि बेटी को गवाही के लिए सिखाया गया था।
खारिज हुई याचिका
वकील ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में 12 लाख से अधिक मामले लंबित हैं, इसलिए दोषसिद्धि के खिलाफ अपील पर जल्द सुनवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सजा निलंबित किये जाने का आधार नहीं हो सकता। इसके बाद वकील ने याचिका वापस ले ली और इसे खारिज कर दिया गया।
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