नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चल रही राजनीति में लोजपा (आर) नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की रविवार को बिहार के आरा में की गई घोषणा ने अनुमानों का बाजार गर्म कर दिया है। चिराग ने कहा कि वह राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगे और स्वयं भी इस चुनाव में प्रत्याशी बनेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में उनके उठाए गए कदम को देखते हुए उनकी इस घोषणा के कई राजनीतिक अर्थ और संकेत हैं।
विधायक का चुनाव लड़ेंगे चिराग
बिहार में भोजपुर के आरा से मिली खबर के अनुसार जहां लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विधायक का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। आरा के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में रविवार को लोजपा (आर) के नव संकल्प महासभा को संबोधित करते हुए चिराग ने विपक्ष पर जोरदार हमला किया तो एनडीए सरकार की उपलब्धियां गिनाई।
जंगल राज के लिए राजद ही नहीं कांग्रेस भी दोषी
विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधते हुए चिराग ने कहा, 'जिस 'जंगल राज' की हम बात करते हैं उसके लिए सिर्फ RJD ही नहीं, बल्कि कांग्रेस भी बराबर की जिम्मेदार है। यह हमारी सरकार है जिसने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया।'
मेरा गठबंधन सिर्फ बिहार की जनता से, राज्य को देश का नंबर-1 बनाएंगे
चिराग ने कहा कि हां मैं बिहार से विधानसभा चुनाव लड़ूंगा। मैं बिहार के लिए चुनाव लड़ूंगा। मैं बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा। बिहार को फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट बनाने के लिए चुनाव लड़ूगा। मैं बिहार के लिए नहीं बिहारियों के लिए चुनाव लड़ूंगा। मेरा गठबंधन सिर्फ और सिर्फ बिहार की जनता के साथ है। चिराग ने वादा किया कि बिहार को देश का नंबर-1 राज्य बनाकर रहेंगे।
जब अपनों ने बेघर किया तो जनता ने ही साथ दिया
आगे कहा कि मेरे अपनों ने ही मुझे घर से बाहर निकाल दिया था। तब यहां की जनता ने ही मेरा साथ दिया। बिहार की जनता ही मेरा परिवार है, ऐसे में अब यह फैसला भी बिहार की जनता को ही लेना है कि मैं कहां से विधानसभा चुनाव लड़ूं। यह भी आप पर ही छोड़ता हूं। आप जहां से बोलेंगे मैं वहां से बिहार विधानसभा चुनाव लड़ूंगा और आपके क्षेत्र का विधायक बनूंगा।
लोग भूल गए कि मैं शेर का बेटा हूं
विरोधियों पर हमला बोलते हुए चिराग ने आगे कहा कि लोग भूल गए कि मैं शेर का बेटा हूं। मुझे और मेरी पार्टी खत्म करने की साजिश रची गई थी।
चिराग की घोषणा का क्या है संकेत
पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग किनारे कर दिए गए थे। चिराग ने उन्हीं सीटों को निशाना बनाया जहां से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के प्रत्याशी थे। चिराग ने भाजपा के लिए अनुकूल माहौल बना दिया जिससे राजद के बाद वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। नीतीश कुमार के विधायकों की संख्या भाजपा के मुकाबले कम रही। ऐसे में पलटू राम के नाम से विख्यात नीतीश के सामने असहज स्थिति तैयार हो गई। अब चिराग की घोषणा जमीन पर कितना रंग लती है यह कहना अभी मुश्किल है, लेकिन एनडीए और खास तौर से नीतीश के लिए यह एक बड़ा संकेत है। सीट बंटवारे में अगर लोजपा (आर) को सीटें कम मिलती हैं तो उस स्थिति में चिराग अपने गठबंधन के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं। राजग को बहुमत मिला तो विधायक बनने के बाद चिराग मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।