नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
एक जमाना था जब दिल्ली में शीला दीक्षित की तूती बोलती थी। कांग्रेस आलाकमान भी शीला को ज्यादा से ज्यादा तवज्जो देता था। कहा जाता था कि शीला के लिए 10 जनपथ के दरवाजे आधी रात को भी खुले रहते थे। शीला के आगे अच्छे अच्छे नतमस्तक हो जाते थे। समय बदला और शीला के जाने के बाद दिल्ली से मानो कांग्रेस का सफाया हो गया। न तो संगठन में जान आई और न कोई चेहरा मिला जो शीला की तरह कार्यकर्ताओं में जान डाल सके। 2013 में हार के बाद कांग्रेस बिखरती चली गई। शीला दीक्षित ने अपनी आत्मकथा में जिक्र किया है कि आखिर कांग्रेस के बिखराव के क्या कारण थे। उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस के वोटबैंक पर केजरीवाल ने मानो कब्जा सा कर लिया। केजरीवाल के साथ एलायन्स करना भी कांग्रेस को भारी पड़ा ।
ये भी पढ़े:- Delhi Election 2025: Sultanpur Mazra में आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ाएंगे कांग्रेस और बसपा के उम्मीदवार?
दिल्ली में एक सीट के लिए तरसती कांग्रेस
आज दिल्ली में कांग्रेस की ये हालत है कि उसके प्रत्याशी हर सीट पर जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। पार्टी ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार तो दिए हैं परंतु ज्यादातर प्रत्याशी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। जो पुराने कांग्रेसी धुरंधर थे, वे या तो भाजपाई हो गये या आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। जो बचे उनका भी जनाधार धीरे-धीरे खत्म हो गया है। पार्टी और कार्यकर्ताओं की बेरुखी के वजह से कोई चुनाव लड़ना ही नहीं चाहता। आलम ये है कि कांग्रेस अपना अस्तित्व कैसे बचाए, ये सबसे बड़ा सवाल है। पार्टी का कोई प्रत्याशी अगर चुनाव जीतता है तो यह किसी करिश्मे से कम नहीं होगा।
ये भी पढ़े:- Delhi Election 2025: 70 सीटों पर 981 उम्मीदवार, केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतरे 28 प्रत्याशी