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Delhi election 2025: 'बुरे कर्म करने वालों को जेल जाना ही पड़ता है', अन्ना हजारे का तंज

आप के संयोजक और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे निशाना साधते हुए बड़ा बयान दिया है। अन्ना हजारे ने कहा कि बुरे कर्म करने वालों को अंत में जेल जाना पड़ता है। देश कानून से चलता है जो गलती करेगा उस हर हाल में सजा मिलनी ही चाहिए।

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Vivek Sharma
ANNA HAZARE
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। सभी 70 सीटों पर मतदान शांतिपूर्वक जारी है। इसी बीच आप के संयोजक और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे निशाना साधते हुए बड़ा बयान दिया है। महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि बुरे कर्म करने वालों को अंत में जेल जाना पड़ता है। हमारे देश कानून से चलता है जो गलती करेगा उस हर हाल में सजा मिलनी ही चाहिए। हमारे देश में संविधान और कानून से ऊपर कुछ नहीं है। देश में विभिन्न राजनीतिक दल हैं, लेकिन संविधान सबसे ऊंचा है और देश उसी के अनुसार चलता है। केजरीवाल पर तल्ख टिप्पणी करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि केजरीवाल राजनीति में सत्ता और पैसे में मशगूल हो गए हैं। जब तक समाज और देश की बेहतरी के लिए काम नहीं किया जाएगा, तब तक कोई भी व्यक्ति कितना भी पैसा कमा ले, उसे कोई वास्तविक लाभ नहीं मिलेगा। अन्ना हजारे ने ये बातें दिल्ली विधानसभा चुनाव के संभावित नतीजे, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की जेल जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहीं।

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कुमार विश्वास और भूषण पर भी बोले 

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अन्ना हजारे ने कुमार विश्वास और प्रशांत भूषण का जिक्र करते हुए कहा कि कुमार विश्वास और प्रशांत भूषण जैसे अच्छे लोग राजनीति से बाहर हो गए हैं। मेरी उनसे अभी भी बातचीत होती रहती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल किए जाने पर अन्ना हजारे ने कहा कि दिल्ली की जनता बुरे कर्म करने वालों को सबक सिखाएगी। चुनाव के परिणाम यह तय करेंगे कि कौन सही है और कौन गलत। चुनाव के बाद यह साफ हो जाएगा कि किसने सही काम किया और किसने गलत काम किया। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि मैं उनके नज़दीक भी नहीं जाता। राजनीति से मेरा कोई लेने-देना नहीं है, मैं कभी ज्यादा कि‍सी पक्ष और पार्टी से जुड़ा नहीं रहा हूं। अगर कहीं कोई कमी होती है तो आवाज उठाते हैं, वह किसी को सलाह नहीं देते।

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मोदी सरकार को सराहा

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महाकुंभ भगदड़ पर कहा कि जो लोग जिस रंग का चश्मा लगाते हैं, उसी तरह की दुनिया दिखाई देती है। अगर किसी के पास लाल रंग का चश्मा है तो वह लाल रंग की दुनिया देखेगा। केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में सवाल पूछने पर अन्ना हजारे ने कहा कि केंद्र सरकार ने कई अच्छे कानून बनाए हैं। इन कानूनों ने भ्रष्टाचार पर काबू पाने में मदद की है। उनका मानना है कि कानून सबसे महत्वपूर्ण है, और जब कानून सख्त होते हैं, तो समाज में सुधार आता है। धार्मिक दृष्टिकोण को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर लोग मुझे धार्मिक मानते हैं तो यह उनकी धारणा है. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि बिना अध्यात्म के इंसान नहीं बदल सकता. अध्यात्म का असली मतलब सिर्फ माला पहनने और जपने से नहीं है, बल्कि यह दुखी और पीड़ितों की सेवा करना है. यही भगवान की पूजा है। 

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अन्ना आंदोलन से मिली पहचान

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अन्ना हजारे के इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन से पहले शायद ही कोई अरविंद केजरीवाल को जानता था। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आंदोलन को अपना मजबूत हथियार बनाया। भारतीय राजस्व सेवा (IRS) की नौकरी छोड़ने के बाद अरविंद केजरीवाल ने ‘सूचना का अधिकार’ के लिए जमकर काम किया, फिर अन्ना आंदोलन में शामिल हुए। कुछ ही समय में केजरीवाल अन्ना के दाहिना हाथ बन गए। जब अन्ना आमरण अनशन में बैठे थे, तो मंच पर उनके बगल में अरविंद केजरीवाल नजर आते थे. अन्ना को जरूरी मंत्रणा केजरीवाल ही दिया करते थे।

अन्ना आंदोलन के शिल्पकार केजरीवाल

जन लोकपाल को लेकर समाजसेवी अन्ना आंदोलन अपने समर्थकों के साथ 5 अगस्त 2011 को दिल्ली के जंतर-मंतर में आमरण अनशन पर बैठ गए, जिसमें अरविंद केजरीवाल, देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी, सुप्रीम कोर्ट के फेमस वकील प्रशांत भूषण भी शामिल हुए। अन्ना आंदोलन को जन आंदोलन में तब्दील करने में अरविंद केजरीवाल का हाथ रहा। हर मोर्चे पर अन्ना के साथ दिखने वाले केजरीवाल को आंदोलन का शिल्पकार भी माना जाता है। आंदोलन के दौरान केजरीवाल मीडिया के फोकस में रहे। उन्होंने आक्रोशित राष्ट्र के गुस्से को सरकार के दरवाजे तक पहुंचाया, जब 9 अगस्त 2011 को अन्ना हजारे ने अपना अनशन समाप्त किया, तो युवाओं की भीड़ ने काली मूंछ वाले छोटे कद के व्यक्ति को घेर लिया और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। वह आदमी कोई और नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल थे।

 

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