नई दिल्ली, वाइबीएन नेटवर्क
दिल्ली में विधानसभा चुनावो को लकेर सियासत की गरमा-गरमी बढ़ गई है। हर दिन कोई ना कोई नई राजनीति की खबर चर्चाओं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों में छाई रहती है। फिर चाहें वह विधायकों का दल बदलना हो या अपना विधानसभा क्षेत्र बदलने की मजबूरी।
5 फरवरी को जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में पर वोटिंग होगी,और 8 फरवरी को वोटों की गिनती की जाएगी। इसी के साथ इस बात का फैसला होगा कि दिल्ली में किसकी सत्ता होगी। दिल्ली में इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीते विधानसभा चुनाव से एक नई तरह की राजनीति और राजनैतिक चेहरे देखने को मिलेंगें। ऐसे ही आम आदमी पार्टी का एक जाना पहचाना चेहरा मनीष सिसोदिया इस बार अपने पुराने विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज की बजाय जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, ये आम आदमी पार्टी के लिए किसी भी चुनौती से कम नहीं है। इस बार के विधानसभा चुनाव में ऐसा सिर्फ आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि विपक्ष की ओर से भी कुछ बदलाव देखने को मिलेगा।
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आपको बता दें कि जंगपुरा दिल्ली की कुल 70 सीटों में से एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है। यहां पर जमाने पहले से कई बड़े राजनीतिक दलों का दबदबा बना रहा है। जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में पहले भी मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच में एक बड़ी टक्कर देखी जाती रही है और इस बार भी ऐसी ही एक राजनीति का उदाहरण देखने को मिल रहा है। आपको बता दें, पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी ने जंगपुरा सीट पर अपनी जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार इस सीट की राजनीति में कई बदलाव और नए समीकरण उभरकर सामने आ रहे हैं।
कौन-कौन हैं उम्मीदवार
अगर आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया की बात करें तो, उन्होंने दिल्ली में उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के रूप में एक अलग ही छवि बनाई। अरविंद केजरीवाल के बाद आप के दूसरे बड़े और शक्तिशाली नेता हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में सरकारी स्कूलों की स्थिति से लेकर शिक्षा विभाग की तरफ दिल्ली वासियों के बीच बढ़ते रुझान के चलते लोकप्रियता हासिल की है। मगर बता दें की जंगपुरा की इस सीट से चुनाव लड़ना चुनातियों से भरा हुआ होगा। जिसके मुख्य कारण जंगपुरा के मतदाताओं का बदलता रुझान है। बीते कुछ सालों में यहां के मतदाताओं की प्राथमिकताओं को बदलते हुए देखा गया है। यहां पर ज्यादातर लोग बिजनेस क्लास और शिक्षित मिडिल क्लास के परिवार रहते हैं। इनकी नज़र में दिल्ली सरकार के कामकाजों में कोई खासा बदलाव नहीं देखने को मिला है।
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वही BJP ने जंगपुरा क्षेत्र में अपनी स्तिथि को मजबूत करने और अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा को पाने के लिए अलग रणनीति अपना रही है। BJP ने विपक्ष के खिलाफ अपने दावेदारी को मजबूत बनाने के लिए तरविंदर सिंह मरवाह को उतारा है। ताकि वो शिक्षा और रोज़गार के मुद्दे पर मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष तैयार कर सके। वहीं कांग्रेस ने भी फरहाद सूरी को जंगपुरा क्षेत्र से अपना दावेदार उतारा है। हालांकि इस विधानसभा क्षेत्र में बाकी दोनों विपक्ष के मुकाबले कांग्रेस की स्थिति सबसे कमजोर है। अगर आंकड़े की बात करी जाए तो 2020 के विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओ की अच्छी टीम होने के बावजूद भी कांग्रेस को कोई खासी सफलता नहीं मिली थी।
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अब जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में किसकी सरकार बनेगी, ये तो अगामी विधानसभा चुनावों के रिजल्ट के बाद ही तय होगा। तब तक ऐसे ही दिल्ली विधानसभा चुनावों से जुड़ी ख़बरो के लिए जुड़े रहें Young भारत से।