नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
Ghonda Assembly Seat: दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी दल प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं। दिल्ली की घोंडा विधानसभा में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। फिलहाल इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है, लेकिन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस इसे हथियाने के लिए पुरजोर कोशिशें कर रही हैं। आइए जानते हैं कि घोंडा विधानसभा के सियासी समीकरण कैसे हैं और किसका पलड़ा यहां भारी नजर आ रहा है।
किसके बीच है मुकबला?
दिल्ली की घोंडा विधानसभा पर त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा ने मौजूदा विधायक अजय महावर को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भीष्म शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं आम आदमी पार्टी ने गौरव शर्मा को उम्मीदवार बनाया है।
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घोंडा विधानसभा का इतिहास
घोंडा विधानसभा पारंपरिक रूप से भाजपा और कांग्रेस का कब्जा रहा है। 2015 में आम आदमी पार्टी ने भाजपा-कांग्रेस के किले में सेंधमारी करते हुए घोंडा विधानसभा पर अपना कब्जा कर लिया। हालांकि, 2020 में भाजपा ने घोंडा पर जीत हासिल की और ये विधानसभा फिर भाजपा का गढ़ बन गई। बता दें कि 1993 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी, वहीं 1998 और 2003 में कांग्रेस ने जीत हासिल की। 2008 और 2013 में भाजपा ने फिर घोंडा पर अपना कब्जा जमा लिया। 2020 में भाजपा के अजय महावर को आप प्रत्याशी श्रीदत्त शर्मा ने कड़ी टक्कर दी थी, वहीं कांग्रेस के भीष्म शर्मा तीसरे स्थान पर रहे थे।
घोंडा विधानसभा का इतिहास
घोंडा विधानसभा पर पारंपरिक रूप से भाजपा और कांग्रेस का कब्जा रहा है। 2015 में आम आदमी पार्टी ने भाजपा-कांग्रेस के किले में सेंधमारी करते हुए घोंडा विधानसभा पर अपना कब्जा कर लिया। हालांकि, 2020 में भाजपा ने घोंडा पर जीत हासिल की और ये विधानसभा फिर भाजपा का गढ़ बन गई। बता दें कि 1993 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी, वहीं 1998 और 2003 में कांग्रेस ने जीत हासिल की। 2008 और 2013 में भाजपा ने फिर घोंडा पर अपना कब्जा जमा लिया।
घोंडा के जातिगत समीकरण
घोंडा विधानसभा क्षेत्र नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में स्थित है। इस इलाके में हिंदू मतदाताओं की तादाद अधिक है, जिसमें मुख्य रूप से पंजाबी, बनिया, जाट, और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग शामिल हैं। क्षेत्र में दलित और अनुसूचित जाति (SC) के मतदाताओं की भी महत्वपूर्ण संख्या है, जो चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। घोंडा विधानसभा में मुस्लिम मतदाता भी बड़ी तादाद में रहते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार से आए प्रवासी भी बड़ी संख्या में यहां बसे हैं। ये सभी फैक्टर चुनावी नतीजों पर असर डालते हैं।
क्या हैं चुनावी मुद्दे?
सड़कों की खराब स्थिति, जलभराव, गंदगी की समस्या घोंडा विधानसभा के प्रमुख स्थानीय मुद्दे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधा, बेरोजगारी और शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग भी इस इलाके के लोग उठाते रहे हैं। सांप्रदायिक तनाव और कानून-व्यवस्था का मुद्दा भी चुनावों में अहम रहता है, खासतौर से भाजपा इसे प्रमुख चुनावी विषय बनाती है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के मुद्दे यहां मतदाताओं के बीच चर्चा में रहे हैं, जो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। अब देखना होगा कि कौन सी पार्टी घोंडा विधानसभा के चुनावी मुद्दों और जातिगत समीकरणों को साधने में सफल हो पाएगी और जीत हासिल कर पाएगी।
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