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Delhi Assembly Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे स्पष्ट हो चुके हैं। भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है। 2020 में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 सीटों में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी और भाजपा को सिर्फ 8 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार भाजपा ने बड़ा उलटफेर करते लगभग 50 सीटों पर जीत दर्ज की है। आइए जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने ये बाजी कैसे पलटी? और उसकी जीत के मुख्य कारण क्या हैं।
12 लाख तक आयकर से छूट
चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले बजट पेश हुआ। भाजपा सरकार ने मिडिल क्लास पर फोकस करते हुए 12 लाख तक की आय को कर से मुक्त कर दिया। ये भाजपा का बड़ा दांव माना जा रहा है, जिसका असर चुनावी नतीजों में भी देखने को मिला है।
केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप
अरविंद केजरीवाल के ऊपर भ्रष्टाचार और शराब घोटाले के आरोप हैं। भाजपा ने इस मुद्दे को चुनाव में खूब भुनाया। केजरीवाल ने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के साथ ही सियासत में कदम रखा था, ऐसे में भाजपा ने केजरीवाल को भ्रष्टाचारी बताते हुए दिल्ली की जनता से भाजपा पर भरोसा करने की अपील की।
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पार्टी में बेहतर तालमेल
भारतीय जनता पार्टी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। पार्टी ने बेहतर रणनीति बनाई। दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा से लेकर जेपी नड्डा तक और पीएम मोदी से लेकर बूथ कार्यकर्ता तक, पार्टी के नेताओं के बीच बेहतर तालमेल रहा। अंदरखाने कोई फूट नहीं हुई, जिसके दम पर भाजपा जीत हासिल करने में कामयाब हुई है।
दिल्ली में विकास का मुद्दा
आम आदमी पार्टी विकास के मुद्दों पर दिल्ली का चुनाव जीतती आई है, ऐसे में इस बार भाजपा ने विकास का मुद्दा हथिया लिया और अपनी चुनावी सभाओं में दिल्ली के विकास को नई दिशा देने के वादे किए। इस तरह भाजपा ने आम आदमी पार्टी के पारंपरिक वोट को अपने पाले में कर लिया।
भाजपा का दमदार प्रचार अभियान
भारतीय जनता पार्टी ने पूरे दमखम के साथ प्रचार किया। भाजपा ने चुनाव प्रचार के लिए विस्तृत रणनीति बनाई थी। पार्टी ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के हिसाब से स्टार प्रचारकों को बुलाया था। ऐसे इलाकों में जहां पूर्वांचली बड़ी तादाद में रहते हैं, वहां पूर्वांचल के नेताओं ने जनसभाएं की। वहीं कई केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी दिल्ली में चुनाव प्रचार किया। इसके अलावा पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा ने भी दिल्ली में कई जनसभाएं की, जिसका फायदा चुनावों में मिला।
महिलाओं को 2500 रुपये
भाजपा ने अन्य राज्यों के चुनावी मॉडल की तर्ज पर दिल्ली में भी महिलाओं को आर्थिक मदद देने के वादा किया। महिला वोटरों को साधने के लिए आम आदमी पार्टी ने 2100 रुपये महीने देने का वादा किया था, भाजपा ने इससे एक कदम आगे चलते हुए महिलाओं को 2500 रुपये देने का वादा किया और महिला वोटरों को अपने पाले में कर लिया। v
शीशमहल का मुद्दा
अरविंद केजरीवाल खुद को आम आदमी बताते हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भाजपा ने केजरीवाल के शीशमहल का मुद्दा उठाया। केजरीवाल के ऊपर सीएम पद पर रहते हुए उनके सरकारी आवास पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च करने का आरोप लगाया गया। उनके घर के महंगे वॉशरूम से लेकर महंगे पर्दे तक के मुद्दे को भाजपा ने उठाया। इसका फायदा भाजपा को मिला।
झुग्गीवालों और पूर्वांचलियों पर फोकस
दिल्ली में झुग्गी बस्ती और पूर्वांचल के लोग भी बड़ी तादाद में हैं। भाजपा ने इस वर्ग को अपने पाले में कर लिया। चुनाव से ठीक पहले गृह मंत्री अमित शाह ने झुग्गीवालों से संवाद किया। इसके अलावा पीएम मोदी ने भी वादा किया कि दिल्ली में कोई झुग्गी नहीं तोड़ी जाएगी और झुग्गीवासियों को पक्के मकान दिए जाएंगे।
Congress-AAP का गठबंधन न होना
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने अलग-अलग लड़ा, जिसकी कीमत आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता गंवाकर चुकानी पड़ी है। कांग्रेस के चुनाव लड़ने से आम आदमी पार्टी के वोट बंटे, जिससे भाजपा को कई सीटों पर फायदा हुआ।
मुस्लिम बहुल सीटों पर जीतना
मुस्लिम बहुल सीटों पर भी भाजपा ने जीत हासिल की है, ये आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। आप और कांग्रेस के वोट बंटने का फायदा भाजपा को मिला, जिससे मुस्तफाबाद जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में भी भाजपा जीतने में कामयाब हुई है।
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