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दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार सोमवार शाम 5 बजे थम गया। 5 फरवरी की चुनावी जंग के लिए प्रचार के आखिरी दिन सभी दलों ने पूरी जान फूंक दी है। भाजपा ने 27 साल से अधिक समय बाद राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता हासिल करने के अपने प्रयासों को तेज करते हुए चुनाव प्रचार के अंतिम दिन समूची दिल्ली में 22 रोड शो और रैलियां कीं और डोर टू डोर कैंपेन किया। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी अपनी फ्री कल्याणकारी योजनाओं के मॉडल पर भरोसा करते हुए लगातार चौथी बार सत्ता हासिल करने को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। जबकि कांग्रेस को भी इस चुनाव में अपनी कोई हुई राजनीतिक जमीन की तलाश है। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 62 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि भाजपा के खाते में बची हुई आठ सीटें गई। कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया था।
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कांग्रेस को खोई जमीन की तलाश
राष्ट्रीय राजधानी में 2013 तक 15 वर्ष तक सत्ता संभालने वाली कांग्रेस पिछले दो चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई। ऐसे में वह जमीनी स्तर पर अपने आप को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। अंतिम समय में पार्टी ने काफी ताकत झोंकी है और कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मैदान में उतरे और कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार करने की कोशिश की। इस चुनावी जंग में राजनीतिक दलों ने एक दूसरे पर निशाना साधने के लिए बयानबाजी के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस( एआई) से तैयार पोस्टर का खूब इस्तेमाल किया और रोड शो के माध्यम से जनता को साधने की कोशिश की।
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मतदान से 48 घंटे पहले थमेगा प्रचार
निर्वाचन आयोग की आदर्श आचार संहिता के अनुसार मतदान से 48 घंटे पहले सभी जनसभाएं, चुनाव संबंधी कार्यक्रम और प्रचार निश्चित रूप से बंद हो जाने चाहिए। निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस अवधि के दौरान सिनेमा, टीवी और प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्रचार सामग्री का प्रसार भी प्रतिबंधित है। यदि कोई राजनीतिक दल इन माध्यमों का इस्तेमाल करते हुए पाया जाता है तो इसे आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। इसे लेकर संबंधित दल के खिलाफ कारवाई की जा सकती है। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 1.56 करोड़ से अधिक मतदाता 5 फरवरी को अपनी सरकार चुनेंगे। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के आंकड़ों के अनुसार 13,766 मतदान केंद्रों पर 1.56 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र हैं। इनमें से 83.76 लाख पुरुष, 72.36 लाख महिलाएं और 1,267 'थर्ड जेंडर' के मतदाता हैं।
दिल्ली में 83.49 लाख पुरुष, 71.73 लाख महिला मतदाता
दिल्ली के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से 11 जिलों की 58 सीट सामान्य हैं और 12 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा दिल्ली में 83.49 लाख पुरुष मतदाता और 71.73 लाख महिला मतदाता हैं। थर्ड जेंडर के मतदाताओं की संख्या 1,261 है। इनमें 25.89 लाख युवा मतदाता भी हैं। दिल्ली में कुल 1.55 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। दिल्ली चुनाव में कुल मतदान केंद्रों की संख्या 13,033 है, जिनमें से दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) और महिलाओं द्वारा प्रबंधित 70-70 मतदान केंद्र हैं।
दिव्यांगों के लिए 733 मतदान केंद्र बनाए गए
मतदान प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए दिव्यांगजनों के लिए 733 मतदान केंद्र निर्धारित किए गए हैं। निर्वाचन आयोग ने देश में पहली बार 'क्यू मैनेजमेंट सिस्टम' (क्यूएमएस) ऐप्लिकेशन भी शुरू की है, जिससे मतदाता ‘दिल्ली इलेक्शन-2025 क्यूएमएस’ ऐप के माध्यम से मतदान केंद्रों पर वास्तविक समय के अनुसार लोगों की मौजूदगी का पता लगा सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए घर से मतदान की सुविधा के तहत 7,553 पात्र मतदाताओं में से 6,980 ने पहले ही अपना वोट डाल दिया है। यह सेवा 24 जनवरी से शुरू हुई जो चार फरवरी तक जारी रहेगी। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की 220 कंपनियां, 19,000 होमगार्ड और दिल्ली पुलिस के 35,626 जवान तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा, 'डमी' और ब्रेल मतपत्रों के प्रावधानों सहित 21,584 बैलेट यूनिट, 20,692 कंट्रोल यूनिट और 18,943 वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) तैयार किए गए हैं। 'आप' ने 2015 में 70 में से 67 सीट जीती थीं, जबकि भाजपा को सिर्फ तीन सीट मिली थी और कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई थी। 'आप' ने 2020 में 62 सीट के साथ अपना दबदबा कायम रखा, जबकि भाजपा ने आठ सीट जीतीं और कांग्रेस एक बार फिर अपना खाता खोलने में नाकाम रही।
चुनाव में दलों के बीच जुबानी जंग हुई तेज
इस चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग भी देखने को मिली। जहां आप ने भाजपा को भारतीय 'झूठ पार्टी' और 'गाली गलौज पार्टी' कहा तो वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'आप' को 'आप-दा' और इसके प्रमुख अरविंद केजरीवाल को 'घोषणा मंत्री' करार देकर पलटवार किया। दिल्ली की राजनीति में वापसी की कोशिश कर रही कांग्रेस ने केजरीवाल के लिए 'फर्जी' और मोदी का 'छोटा रिचार्ज' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। एआई से बने 'मीम्स' और डिजिटल अभियानों के हावी होने के साथ ही इस बार दिल्ली की चुनावी लड़ाई एक अलग ही स्तर पर पहुंच गई। इस बार यमुना के प्रदूषण को लेकर भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच जबरदस्त "फाइट" हुई। यह मामला चुनाव आयोग के दरबार तक पहुंचा और दिल्ली हाईकोर्ट को भी यमुना प्रदूषण को लेकर सख्त टिप्पणी करनी पड़ी।