नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)।
दिल्ली में मुख्यमंत्री के चयन और मंत्रिमंडल के गठन पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष को लेकर चर्चाएं शुरू होने लगी हैं। राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल से नेता प्रतिपक्ष को लेकर बड़ी मांग की है। स्वाति मालीवाल ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है और मांग की है कि दिल्ली में किसी दलित विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए।
स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल को लिखा पत्र
स्वाति मालीवाल ने पत्र में लिखा, "अरविंद जी, उम्मीद है कि आप कुशलमंगल होंगे। दिल्ली चुनावों के नतीजों के बाद अपने स्वास्थ्य और मन की शांति पर ध्यान दे रहे होंगे। इस पत्र के माध्यम से आपके समक्ष एक जरूरी मांग रखना चाहती हूं। आपको याद होगा आपने 2022 में पंजाब चुनाव के दौरान वादा किया था कि जीतने के बाद हम एक दलित उपमुख्यमंत्री बनाएंगे, लेकिन बहुत दुख की बात है कि 3 साल बाद भी यह वादा पूरा नहीं हुआ।"
'दलित' को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग
स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र में आगे कहा कि अब जब दिल्ली में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने का समय आया है, तो मेरा आपसे अनुरोध है कि दिल्ली से पार्टी के दलित समाज से आने वाले एक विधायक को आप दिल्ली का नेता प्रतिपक्ष बनाएं। उन्होंने आगे कहा कि एक दलित विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनाना सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय नहीं होगा, बल्कि यह हमारे मूल सिद्धांतों को निभाने की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
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"अपने वादे पर खरे उतरें"
स्वाति मालीवाल ने कहा कि मैं आपसे आग्रह करती हूं कि इस बार अपने वादे पर खरे उतरें और यह साबित करें कि आप सिर्फ बातें ही नहीं, बल्कि हकीकत में भी समानता और न्याय की राजनीति करते हैं। पंजाब से की गई वादाखिलाफी को दोहराने से बचें और इस ऐतिहासिक फैसले को लें।
किसे नेता प्रतिपक्ष बनाएगी AAP
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद भाजपा सरकार बनाने जा रही है। आम आदमी पार्टी दिल्ली में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, ऐसे नेता प्रतिपक्ष आम आदमी पार्टी से ही होगा। सभी के मन में सवाल है कि आप किसे ये जिम्मेदारी सौंपेगी। देखना होगा कि पार्टी किसे नेता प्रतिपक्ष बनाएगी। बता दें कि दिल्ली में पांच फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी 22 सीटों पर सिमटकर रह गई, जबकि भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज कर दिल्ली की सत्ता पर 27 साल बाद वापसी की।
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