नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
दिल्ली विधानसभा का सत्र का आज तीसरा दिन है। विधानसभा का सत्र शुरू हो चुका है। सदन में कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इस बीच कैग रिपोर्ट का मुद्दा गरमाया हुआ है। सत्र के दूसरे दिन यानी 25 जनवरी को दिल्ली विधानसभा में अरविंद केजरीवाल की शराब नीति पर कैग की रिपोर्ट पेश की गई थी, जिस पर आज चर्चा की जाएगी। सदन की शुरुआत से पहले विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और भाजपा पर तानाशाही के आरोप लगाए हैं।
CAG रिपोर्ट में क्या है?
कैग रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शराब नीति में बदलाव के कारण दिल्ली सरकार को 2002 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी नीति में कई अनिमितताएं हुईं और लापरवाह फैसले लिए गए, जिससे दिल्ली सरकार को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने सुझाव दिया है कि लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और नियमों का सख्ती से पालन हो। मुनाफाखोरी रोकने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। अब देखना होगा कि दिल्ली सरकार इस मामले पर क्या एक्शन लेती है।
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दिल्ली सरकार को कैसे हुआ 2002 करोड़ का नुकसान?
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्रीय लाइसेंस जारी करने में ढिलाई बरती गई, कई जगहों पर खुदरा शराब की दुकानें नहीं खुलीं, जिसके कारण 940 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा री-टेंडर प्रक्रिया यानी की सरेंडर किए गए लाइसेंसों को दोबारा नीलाम करने के कारण 890 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। शराब कारोबारियों से सिक्योरिटी डिपॉजिट सही से कलेक्ट नहीं किया गया, जिसके कारण दिल्ली सरकार को 27 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा कोविड-19 महामारी के दौरान आप सरकार ने लाइसेंस फीस में 144 करोड़ रुपये की छूट दी थी, जो आबकारी विभाग के पहले के निर्देशों के खिलाफ थी।
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आतिशी ने भाजपा सरकार पर लगाए तानाशाही के आरोप
आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया है। आप नेता आतिशी ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने विधानसभा परिसर के बाहर तैनात होकर आप के विधायकों को अंदर जाने से रोक दिया। उनका कहना है कि पुलिस के पास इस कार्रवाई का कोई वैध आदेश नहीं था, फिर भी पुलिस ने इस फैसले को लागू किया। आतिशी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट किया, "दिल्ली में भाजपा सरकार आते ही तानाशाही की शुरुआत हो गई है। चुने हुए विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।"
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