नई दिल्ली, आईएएनएस।
दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट अब दिल्ली विधानसभा में डिप्टी स्पीकर की भूमिका निभाते नजर आ सकते हैं। भाजपा ने मुस्तफाबाद के विधायक मोहन सिंह बिष्ट को डिप्टी स्पीकर के लिए उम्मीदवार बनाया है। बिष्ट ने पार्टी के फैसले पर खुशी जताते हुए आभार जताया है।
मोहन बिष्ट ने जताया पार्टी का आभार
भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "मैं पार्टी का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मेरा सम्मान किया है। मुझे लगता है कि पुराने लोगों को सम्मान देने का काम सिर्फ भाजपा ही कर सकती है। डिप्टी स्पीकर का जो काम होगा, चाहे वह सदन को चलाना हो या फिर सदन की प्रक्रिया को लागू करना हो, ये सब मेरी प्राथमिकता रहेगी।" उन्होंने भाजपा की घोषणाओं पर कहा, "जल्द ही पात्र महिलाओं को 2500 रुपये देने की प्रक्रिया चालू होने वाली है। इसके अलावा कैग रिपोर्ट को पटल पर रखा गया है। पूर्व सरकार ने जो भी घोटाले किए हैं, उसका पाई-पाई का हिसाब लिया जाएगा।"
CM रेखा गुप्ता पेश करेंगी प्रस्ताव
बुधवार को विधानसभा की कार्यसूची में कहा गया है, "मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता निम्नलिखित प्रस्ताव पेश करेंगी: 'इस सदन के माननीय सदस्य मोहन सिंह बिष्ट को इस सदन का उपाध्यक्ष चुना जाए।'" दूसरा प्रस्ताव विधायक अनिल कुमार शर्मा द्वारा प्रस्तावित किया जाएगा और गजेंद्र सिंह यादव द्वारा इसका समर्थन किया जाएगा। "
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दिल्ली विधानसभा सत्र का तीसरा दिन
बता दें कि दिल्ली विधानसभा का सत्र का आज तीसरा दिन है। पहले विधानसभा का यह सत्र तीन दिन चलना था, लेकिन अब इस सत्र को 3 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया है। 25 फरवरी को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सदन में शराब नीति पर सीएजी की रिपोर्ट पेश की थी।
कैग रिपोर्ट में हुए बड़े खुलासे
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (आप) की तत्कालीन सरकार ने नई शराब नीति में कई तरह की गड़बड़ियां की, जिसके चलते दिल्ली सरकार को करीब 2002.68 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। विभिन्न चीजों से अलग-अलग राशियों का नुकसान हुआ, जैसे नॉन कंफर्मिंग वार्ड्स में रिटेल दुकान न खोलना (941.53 करोड़ रुपये), सेरेंडर्ड लाइसेंस का फिर से टेंडर न करना (890 करोड़ रुपये), कोविड-19 का हवाला देते हुए आबकारी विभाग की सलाह के बावजूद जोनल लाइसेंसधारियों को शुल्क छूट देने से (144 करोड़ रुपये) और क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों से सही तरीके से जमा राशि एकत्र न करने से (27 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। नई शराब नीति में पहले एक व्यक्ति को एक लाइसेंस मिलता था, लेकिन नई नीति में एक शख़्स दो दर्जन से ज़्यादा लाइसेंस ले सकता था।
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