/young-bharat-news/media/media_files/2025/02/02/MXyoApl8oh57dPviWDpm.jpg)
अहमदाबाद, वाईबीएन नेटवर्क
2002 गुजरात दंगों में कांग्रेस सांसद ईशान जाफरी की विधवा ज़ाकिया जाफरी का 2 फरवरी को अहमदाबाद में निधन हो गया। वह गुलबर्ग सोसायटी मामले में एक सह-आरोपित थी, जिसे वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया था। ज़ाकिया जाफरी ने 2002 के गुजरात दंगों की जांच कराने की मांग की थी और उन्होंने विशेष जांच दल (SIT) द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (जो वर्तमान में प्रधानमंत्री हैं) और अन्य को दी गई "क्लीन चिट" को चुनौती दी थी, आरोप लगाते हुए कि दंगों के पीछे एक "बड़ा साजिश" थी।
"न्याय की उम्मीद" को मरते देखा
उनके पति ईशान जाफरी समेत गुलबर्ग सोसाइटी में 28 फरवरी 2002 को हुए दंगों में 69 लोग मारे गए थे। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ज़ाकिया जाफरी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने "न्याय की उम्मीद" को अपनी आंखों के सामने मरते हुए देखा। उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, "ज़ाकिया जाफरी आज निधन हो गईं। उन्होंने अपनी आंखों के सामने न्याय की उम्मीद को मरते हुए देखा। आने वाली पीढ़ियां 'नए भारत' का इतिहास सुनेंगी, जो ज़ाकिया जाफरी के आंसू, आक्रोश, न्याय के लिए संघर्ष और फिर उनकी हार में समाहित होगा।"
ज़किया जाफरी की आज मौत हो गई। उन्होंने अपने आँखों के सामने इंसाफ़ की उम्मीद की मौत देखी।
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) February 1, 2025
आने वाली नस्लों को ज़किया जाफरी के आँसुओं, सिसकियों, इंसाफ़ की जंग और फिर उनकी हार में ‘नए भारत’ का इतिहास सुनाई देगा। https://t.co/kNdydsnagx
तिस्ता सेतलवाड़ ने भी जताया शोक
मानवाधिकार कार्यकर्ता और गुलबर्ग सोसायटी मामले की एक अन्य शिकायतकर्ता तिस्ता सेतलवाड़ ने भी ज़ाकिया जाफरी के निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें "एक संवेदनशील नेता" के रूप में याद किया। उन्होंने X पर लिखा, "ज़ाकिया अक्का, मानवाधिकार समुदाय की एक संवेदनशील नेता, अब हमें छोड़कर चली गईं। उनका दृष्टिकोण और उनकी उपस्थिति राष्ट्र, परिवार, दोस्तों और दुनिया के लिए बहुत याद की जाएगी!"
कोर्ट के चक्कर लगाती रहीं जाफरी
2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें 2002 गुजरात दंगों के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी और अन्य को दी गई "क्लीन चिट" को चुनौती दी गई थी। जाकिया जाफरी ने गुजरात दंगों के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राज्य सरकार की साजिश बताया था। उन्होंने इसके खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की थी। यह मांग पूरी नहीं होने पर साल 2006 में जाकिया जाफरी ने मुकदमा दाखिल किया था। जिसमें हत्या (धारा 302) सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र समेत 63 लोगों को गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी नरसंहार का आरोपी बताते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। इनमें मौजूद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल थे। इस शिकायत पर लंबे समय तक कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए विशेष जांच समिति (SIT) गठित की थी।
इसे भी पढ़ें-Accident: गहरी खाई में गिरी तीर्थ यात्रियों से भरी बस, दर्दनाक हादसे में 5 लोगों की मौत
अंतिम सांस तक लड़ी न्याय की लड़ाई
जाकिया जाफरी ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के साथ मिलकर यह चुनौती उठाई थी। वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी समापन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और याचिकाकर्ता को इस रिपोर्ट पर अपनी आपत्तियां दर्ज करने की स्वतंत्रता दी गई। वर्ष 2013 में आवेदक ने क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करते हुए याचिका दायर की। मजिस्ट्रेट ने एसआईटी की समापन रिपोर्ट को बरकरार रखा और जाफरी की अर्जी खारिज कर दी। जिसके बाद जाकिया ने गुजरात हाईकोर्ट से संपर्क किया। हाईकोर्ट ने 2017 में मजिस्ट्रेट के फैसले को बरकरार रखा और जाफरी की याचिका खारिज कर दी। जाफरी ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के साथ मिलकर एसआईटी द्वारा क्लीन चिट स्वीकार करने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन एक बार फिर वही हुआ, जो होता आया था, 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी थी। न्याय के लिए लड़ने वाली जकिया जाफरी ने आज अहमदाबाद में अंतिम सांस ली।
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us
/young-bharat-news/media/media_files/2025/04/11/dXXHxMv9gnrpRAb9ouRk.jpg)