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हिमाचल प्रदेश, वाईबीएन डेस्क | हिमाचल प्रदेश में पिछले महीने मानसून की शुरुआत के बाद से बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन के कारण 43 लोगों की मौत हो गई है और कम से कम 37 लापता हैं। मौसम विभाग ने कांगड़ा, सिरमौर और मंडी जिलों में अलग-अलग स्थानों पर बहुत भारी से बेहद भारी बारिश के लिए 'रेड' अलर्ट जारी किया है। रविवार को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, सोलन, शिमला और कुल्लू जिलों में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश के लिए 'ऑरेंज' अलर्ट जारी किया है। हिमाचल प्रदेश में मानसून ने 20 जून को दस्तक दी थी और इससे अब तक 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। 43 पीड़ितों में से 14 बादल फटने और आठ अचानक बाढ़ में मारे गए।
हिमाचल में लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त
"ये घटनाएं ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का परिणाम हैं। हिमाचल भी इन प्रभावों से अछूता नहीं है। राज्य भर में 250 सड़कें बंद हैं, 500 से ज़्यादा बिजली वितरण ट्रांसफ़ॉर्मर (DTR) काम नहीं कर रहे हैं और लगभग 700 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अलावा स्थानीय प्रशासन, पुलिस, होमगार्ड, SDRF और NDRF सहित केंद्रीय एजेंसियाँ समन्वित प्रतिक्रिया प्रयासों में शामिल हैं। इस बीच, शिमला में भारी बारिश के कारण दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। स्कूली बच्चे सबसे ज़्यादा प्रभावित लोगों में से हैं। स्कूलों में पानी भर गए हैं।
मंडी जिले में 40 लोग लापता
अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, चालूमानसून सीजन के दौरान बारिश से संबंधित घटनाओं के कारण 37 लोगों की मौत हो गई है। इस अवधि के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के कारण 26 और मौतें हुई हैं। अधिकारियों ने कहा कि अकेले मंडी जिले में 40 लोग लापता बताए गए हैं और व्यापक तलाशी अभियान जारी है। राणा ने कहा, "मंडी का एक गांव तबाह हो गया है। राहत शिविर बनाया गया है और कल भारतीय वायुसेना द्वारा भोजन के पैकेट गिराए गए।" जलवायु के व्यापक संदर्भ पर प्रकाश डालते हुए डीसी राणा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का असर पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश पर भी पड़ा है।
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