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Ahmedabad Rath Yatra 2025 : DJ की धुन से भड़का गजराज! जानिए — फिर क्या हुआ?

अहमदाबाद जगन्नाथ रथयात्रा में DJ से बेकाबू हुआ हाथी, 4 घायल। वन विभाग ने काबू किया। यह घटना बड़े धार्मिक आयोजनों में पशु सुरक्षा और ध्वनि प्रदूषण पर गंभीर सवाल उठाती है। जानें क्यों ऐसे हादसे होते हैं और क्या हैं समाधान?

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Ajit Kumar Pandey
अहमदाबाद की जगन्नाथ रथयात्रा में उग्र हाथी, जिसे नियंत्रित किया जा रहा है। भीड़ और सुरक्षाकर्मी घटनास्थल पर मौजूद हैं।

अहमदाबाद जगन्नाथ रथयात्रा में डीजे की तेज आवाज से बेकाबू हुए हाथी को काबू करते वन विभाग के अधिकारी। इस घटना में चार लोग घायल हो गए | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।धर्म और भक्ति का प्रतीक, अहमदाबाद की विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान आज शुक्रवार 27 जून 2025 को एक अप्रत्याशित घटना की गवाह बनी। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच, यात्रा में शामिल 17 हाथियों के समूह में से एक हाथी डीजे की तेज आवाज से बेकाबू हो गया। इस घटना से भगदड़ मच गई, और चार लोग घायल हो गए। आनन-फानन में वन विभाग, पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीमों ने मोर्चा संभाला और बेकाबू हाथी को नियंत्रित कर वहां से हटाया। यह घटना एक गंभीर सवाल खड़ा करती है: धार्मिक आयोजनों में जानवरों के उपयोग और उनके प्रबंधन पर हमें कितना ध्यान देने की ज़रूरत है?

यह कोई पहला मौका नहीं है जब धार्मिक जुलूसों में हाथी या अन्य जानवर उत्तेजित हुए हों। ऐसे आयोजनों में तेज आवाजें, भीड़ और असामान्य माहौल अक्सर जानवरों के लिए तनावपूर्ण साबित होता है। आखिर, क्या हम परंपराओं का पालन करते हुए, इन मूक प्राणियों की संवेदनशीलता को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं? इस घटना ने जगन्नाथ रथयात्रा की भव्यता के साथ-साथ, पशु कल्याण और भीड़ नियंत्रण के मुद्दों पर भी ध्यान खींचा है।

अचानक भड़क उठे गजराज और भीड़ को दौड़ाया

आज सुबह जब जगन्नाथ रथयात्रा अपने पूरे शबाब पर थी, हाथी दल सबसे आगे चल रहा था। भक्तिमय माहौल था, लेकिन अचानक डीजे की तेज़ और कान फाड़ने वाली आवाज़ ने एक हाथी को विचलित कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हाथी ने अजीब व्यवहार करना शुरू कर दिया, जिससे आस-पास खड़े लोग डर गए और पीछे हटने लगे। देखते ही देखते स्थिति अनियंत्रित होने लगी और भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।

तत्काल कार्रवाई करते हुए, सुरक्षाकर्मी और पशु चिकित्सा दल मौके पर पहुंचे। वन विभाग के अधिकारियों ने अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन करते हुए, बड़ी मुश्किल से हाथी को शांत किया और उसे यात्रा मार्ग से दूर ले गए। इस दौरान चार लोगों को मामूली चोटें आईं, जिन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। यह घटना भले ही छोटी लगे, लेकिन इसके गंभीर परिणाम हो सकते थे। सोचिए, अगर हाथी और अधिक उग्र हो जाता, तो भीड़ में क्या तबाही मच सकती थी?

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आखिर क्यों बेकाबू होते हैं गजराज ऐसे आयोजनों में?

जानवरों के व्यवहार पर काम करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि धार्मिक जुलूसों में होने वाले शोर, भीड़ और असामान्य दृश्य जानवरों को अत्यधिक तनाव में डाल सकते हैं।

तेज आवाजें: डीजे और पटाखों जैसी तेज आवाजें जानवरों के लिए असहनीय होती हैं, क्योंकि उनकी सुनने की शक्ति इंसानों से कहीं ज़्यादा संवेदनशील होती है।

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असामान्य माहौल: लाखों लोगों की भीड़, नए स्थान और लगातार बदलते परिवेश जानवरों में बेचैनी पैदा करते हैं।

प्रशिक्षण और प्रबंधन: कई बार जानवरों का पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं होता या उन्हें संभालने वाले महावत पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं होते, जिससे आपात स्थिति में नियंत्रण मुश्किल हो जाता है।

इन घटनाओं से सबक लेना बेहद ज़रूरी है। क्या हम अपनी परंपराओं का सम्मान करते हुए भी, पशु कल्याण के प्रति अधिक संवेदनशील नहीं हो सकते?

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भविष्य के लिए सबक: सुरक्षा और संवेदनशीलता का संतुलन

इस घटना ने भविष्य की जगन्नाथ रथयात्रा और ऐसे अन्य बड़े आयोजनों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

ध्वनि नियंत्रण: क्या धार्मिक जुलूसों में डीजे और अन्य तेज ध्वनि उपकरणों के उपयोग को सीमित नहीं किया जाना चाहिए? या फिर कम से कम, जानवरों वाले क्षेत्रों में ध्वनि स्तर को नियंत्रित किया जाना चाहिए।

पशु स्वास्थ्य और व्यवहार की जांच: आयोजनों से पहले जानवरों की गहन चिकित्सा जांच और व्यवहार मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

विशेषज्ञों की उपस्थिति: आयोजनों के दौरान पशु चिकित्सकों और वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम की अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित की जाए, ताकि आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई हो सके।

जन जागरूकता: श्रद्धालुओं को भी ऐसे आयोजनों में जानवरों के प्रति संवेदनशील रहने और उन्हें उत्तेजित न करने के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।

यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमारी परंपराएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनका पालन करते समय हमें सभी जीवों के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं भूलनी चाहिए। जानवरों को सम्मान और सुरक्षा देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।

जगन्नाथ रथयात्रा एक आस्था का पर्व है, और इसे सुरक्षित एवं सुचारू रूप से संपन्न कराना हम सबकी जिम्मेदारी है। उम्मीद है कि इस घटना से सीख लेते हुए, भविष्य में ऐसे आयोजनों को और अधिक सुरक्षित और पशु-अनुकूल बनाया जाएगा।

आपका नजरिया इस खबर पर क्या है? क्या आपको लगता है कि धार्मिक आयोजनों में जानवरों के उपयोग पर सख्त नियम होने चाहिए? नीचे कमेंट करें, हम पढ़ रहे हैं!

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