Advertisment

मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, Supriya Sule ने महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा की उठाई मांग

संसद के मानसून सत्र से पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने कई अहम मुद्दे उठाए। उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक, प्राइवेट मेंबर्स बिल, बेरोजगारी जैसे मसलों पर चर्चा की मांग की।

author-image
Jyoti Yadav
Supriya Sule
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

नई दिल्ली, आईएएनएस। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने संसद के मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में महाराष्ट्र के कई गंभीर मुद्दों को उठाया। उन्होंने बेरोजगारी, किसान आत्महत्या, महिला आरक्षण विधेयक और प्राइवेट मेंबर्स बिल पर चर्चा की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के कृषि मंत्री के विधानसभा में ताश खेलने के वायरल वीडियो को शर्मनाक बताया। उन्होंने केंद्र सरकार पर महाराष्ट्र में दबाव डालने का आरोप लगाया और इस पर खुली चर्चा की मांग की।

प्राइवेट मेंबर्स बिल पर चर्चा की भी मांग की

सुप्रिया सुले ने कहा, "हमें बताया जाता है कि केंद्र का दबाव है, लेकिन इसकी सच्चाई संसद में सामने आनी चाहिए।"उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक के लागू होने की समयसीमा और प्राइवेट मेंबर्स बिल पर चर्चा की भी मांग की। सुप्रिया सुले ने कहा, "महाराष्ट्र में बेरोजगार और किसान आत्महत्या कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री ने ही बयान दिया था कि जनवरी, फरवरी और मार्च 2025 में 750 किसानों ने आत्महत्या की। हर तीन घंटे में एक किसान अपनी जान दे रहा है। ऐसे में कृषि मंत्री का विधानसभा में ताश खेलना शर्मनाक है।"उन्होंने कहा, "जब संसद में ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध की चर्चा हो रही है, तब कृषि प्रधान देश के एक राज्य के मंत्री का ताश खेलना शर्मनाक है।"

फीडबैक नेतृत्व का महत्वपूर्ण हिस्सा

सुप्रिया सुले ने कहा, "बेरोजगारी, किसानों की कर्जमाफी न होना और हिंजेवाड़ी में ट्रैफिक की समस्या जैसे मुद्दों को लेकर दिल्ली आए हैं ताकि संसद में इन पर चर्चा हो और समाधान निकले।"महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के कारणों पर सुप्रिया सुले ने कहा, "सभी दलों को आत्मचिंतन करना चाहिए। उन्होंने उद्धव ठाकरे के बयानों का समर्थन करते हुए कहा कि फीडबैक नेतृत्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अमित मालवीय के बयान पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबको बोलने का अधिकार है। बता दें कि अमित मालवीय ने एक्स पोस्ट के जरिए कहा था कि जब यूपीए की सरकार में संसदीय बैठक हुआ करती थी तो उस समय के प्रधानमंत्री बैठक में एक बार भी हिस्सा नहीं लिया करते थे।

Advertisment
Advertisment