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Rohit Pawar का government पर हमला बोले- मराठी भाषा के खिलाफ कुछ स्‍वीकार नहींं

महाराष्ट्र में 'हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा' बनाने के फैसले पर छिड़े विवाद के बाद राज्य सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा। विपक्षी दलों, खासकर एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव गुट) ने इसे मराठी भाषा की जीत और जनमत की एकता का परिणाम बताया।

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Ranjana Sharma
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मुंबई, आईएएनएस: महाराष्ट्र में 'हिंदी' पर राजनीति नहीं थम रही है। विपक्ष के भारी विरोध के बीच राज्‍य सरकार ने रविवार को प्राथमिक स्कूल में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का फैसला वापस ले लिया। विपक्ष इसे अपनी जीत बता रहा है। शरद पवार की अध्यक्षता वाले एनसीपी (एसपी) के विधायक रोहित पवार ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र में जब भी मराठी भाषा के खिलाफ कुछ लाया जाता है तो यहां के लोग उसे स्वीकार नहीं करते।
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महाराष्‍ट में लोग मराठी के खिलाफ कुछ नहीं सुनते

रोहित पवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "जैसा कि सभी ने देखा है, महाराष्ट्र में अगर आप मराठी भाषा के खिलाफ कुछ भी लाते हैं तो यहां के लोग इसे स्वीकार नहीं करते हैं। जब ठाकरे परिवार (राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे) एक साथ आया और अन्य दलों से भी समर्थन मिला तो इसका प्रभाव बहुत बड़ा था। जनता का समर्थन उनके साथ दिखा तो सरकार डर गई। यह साफ है कि मराठी भाषा के मुद्दे पर जनता एकजुट होती है और किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं करती।

छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि दी

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'हिंदी' पर सरकार के हालिया फैसले के बाद एनसीपी-एसपी और शिवसेना-उद्धव गुट के नेताओं ने जश्न मनाया। रोहित पवार और आदित्य ठाकरे की अगुवाई में कुछ नेताओं ने महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि दी। रोहित पवार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, "हिंदी को अनिवार्य बनाने के निर्णय पर मराठी लोगों की एकता के सामने राज्य सरकार को पूरी तरह पीछे हटना पड़ा। इस संबंध में जीत का जश्न मनाने के लिए हमने शीर्ष नेताओं के साथ 'मी मराठी' टोपी पहनकर विधानभवन के परिसर में स्थित महाराष्ट्र के आराध्य देवता श्री छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा को श्रद्धांजलि दी।

भारतीय राजनीति में परस्पर सम्मान भी परंपरा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले को जन्मदिन की बधाई देने पर रोहित पवार ने इसे सामान्य शिष्टाचार बताया। उन्होंने कहा, "अमित शाह सबको फोन करके बधाई देते हैं, यह अच्छी बात है। सुप्रिया सुले हमेशा सभी दलों के नेताओं को जन्मदिन और अन्य खास अवसरों पर शुभकामनाएं देती हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है। यह भारतीय राजनीति में परस्पर सम्मान का एक हिस्सा है। government
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