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Photograph: (file)
प्रयागराज, वाईबीएन नेटवर्क।
प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हो रहा है। इस आयोजन में कोई अनहोनी ना हो, इसके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल हाथरस में हुई भगदड़ से सबक लेने के लिए कहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में हाथरस भगदड़ के मामले में सुनवाई करते हुए यह सुझाव दिया है। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा कि अतीत में ऐसी कई घटनाएं देखी गई हैं जहां लाखों लोग इकट्ठा होते हैं और अचानक भगदड़ में लोगों की असमय मौत हो जाती है। जस्टिस यादव ने कहा कि हमें अतीत से सबक लेना चाहिए, जिससे कि भविष्य मे ऐसे हादसे दोबारा ना हो पाएं।
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क्या था हाथरस भगदड़ मामला!
02जुलाई 2024: स्थान हाथरस का फुलरई गाँव, मौका- नारायण साकार विश्व हरि का सत्संग। इस सत्संग में 80 हज़ार लोगों के आने की परमिशन ली गई थी, लेकिन क़रीब ढाई लाख लोग इसमें शामिल होने पहुंच गए। आयोजन की सारी व्यवस्था नारायण साकार हरि के सेवादारों ने ही संभाल रखी थी। सत्संग के बाद जब बाबा भोले वहां से जाने लोग तो सैकड़ों भक्त उनका चरणों की धूल लेने के लिए भागने लगे। इस बीच भगदड़ मच गई थी। दरअसल, आयोजन खेत में हो रहा था। बारिश की वजह से मिट्टी फिसलनी थी, जिसके बाद एक के ऊपर एक लोग गिरते चले गए। इस हादसे में 121 लोगों की जान चली गई थी। कई चश्मदीदों ने दावा किया कि जिस वक़्त ये हादसा हुआ। बाबा के सेवादार जिन पर हालात को संभालने की ज़िम्मेदारी थी वो भी वहां से भाग खड़े हुए।
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1954 में कुंभ क्षेत्र में हुआ था हादसा..
1947 में भारत आज़ाद हुआ था। जिसके बाद 1954 में आज़ाद हिन्दोस्तान में पहली बार कुंभ का आयोजन किया जा रहा था। मौनी अमावस्या स्नान के मौके पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू संगम क्षेत्र में आए और उसी दिन संगम क्षेत्र में एक हाथी के नियंत्रण से बाहर होने के कारण हादसा हुआ था। हादसे में सैंकडों श्रद्धालुओं की मौत भी हो गई थी। जिसके बाद से ही कुंभ में हाथी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। सिर्फ इतना ही नहीं, देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने ही कुंभ के प्रमुख स्नान पर्वों पर वीआईपी के जाने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसी वजह से आज भी कुंभ, महाकुंभ, अर्द्धकुंभ के बड़े स्नान पर्वों के दिन वीआईपी के आने पर रोक है।
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वर्ष 2013 में भी हुआ था हादसा
1954 के बाद साल 2013 के कुंभ मेले में भी भगदड़ हो गई थी, जिसमें 36 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत गई थी। प्रयागराज में अर्धकुंभ मेले के दौरान, 10 फरवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर, रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी। बताया जाता है कि उस दिन रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ जमा हो गयी थी। अचानक से एक ट्रेन का प्लेटफार्म बदलने की उद्घोषणा होती है, इसके चलते स्टेशन पर अफऱा-तफरी का माहैल पैदा हो गया।
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क्राउड मैनेजमेंट के लिए तैयार है योगी सरकार
योगी सरकार की माने तो इस बार कुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या 40 करोड़ हो सकती है। यानी कि कुंभ प्रशासन के लिये भीड़ प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती होने जा रही है। इसके लिए योगी सरकार लगातार इस पर अपनी रणनीति बना रही है। इसके लिए उन स्पाट्स को चिन्हित किया है जहां पर भीड़ का दबाव होने की संभावना है। इसके लिए दिसंबर के महीने से ही इस पर काम करना शुरु कर दिया था। इसके लिए मेला क्षेत्र के साथ-साथ पूरे प्रयागराज शहर के लिए भी ट्रैफिक एवायज़री जारी की गई है। AI तकनीक का सहारा भी लिया जा रहा है। ट्रैफिक को मैनेज करने के लिए कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। वालेंटियर को भी लगाया गया है, जो कहीं भी ट्रैफिक जाम की सूचना कंट्रोल रुम तक पहुंचाएंगे। जिसके बाद वैकल्पिक रूट पर ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया जाएगा।
शाही स्नान के दिनों के लिए भी होगी व्यस्था
महाकुंभ 2025 के शाही स्नान इन तारीखों में होगा
मकर संक्रांति:14 जनवरी 2025
मौनी अमावस्या: 29 जनवरी 2025
बसंत पंचमी: 03 फरवरी 2025
माघी पूर्णिमा: 12 फरवरी 2025
महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025
इन पांच दिनों में सबसे अधिक भीड़ होती है इन मौकों पर श्रद्धालुओं की सैलाब देखा जाता है। इसकि लिये प्रशासन ने दो रास्ते बनाये हैं। जिस रास्ते से श्रद्धालु शाही स्नान को जाएंगे उनकी वापसी दूसरे रास्ते से ही होगी। स्नान के दिन इन सभी रास्तों पर खास नज़रें और व्यवस्था होगी। ड्रोन की मदद से भीड़ प्रबंधन को बेहतर तरीके से किया जायेगा।
रेलवे ने भी की है अपनी तैयारियां
उत्तर मध्य रेलवे (North Central Railway) ने महाकुंभ के दौरान भीड़ प्रबंधन को एक बड़ी चुनौती बताते हुए विशेष तैयारियां की है। उत्तर मध्य रेलवे के मुताबिक इस बार लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने का अनुमान है, जो पिछले आयोजनों की तुलना में कहीं अधिक है। इस अभूतपूर्व संख्या के मद्देनजर रेलवे ने कई स्तरों पर कार्य योजना तैयार की है ताकि यात्री सुरक्षित और सुगमता से अपनी यात्रा पूरी कर सकें।
अतिरिक्त ट्रेनों का संचालन
महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए विशेष ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। देश के अलग-अलग हिस्सों से प्रयागराज के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी।
स्टेशनों का अपग्रेडेशन:
प्रयागराज जंक्शन, प्रयागराज छिवकी और अन्य प्रमुख स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं को अपग्रेड किया जा रहा है. प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ाई जा रही है, और यात्रियों की भीड़ को संभालने के लिए अतिरिक्त एंट्री और एग्जिट पॉइंट बनाए जा रहे हैं.
स्मार्ट भीड़ प्रबंधन प्रणाली:
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अन्य तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। सीसीटीवी कैमरों के जरिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी।
स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था:
स्टेशनों पर मेडिकल कैंप, एंबुलेंस और आपातकालीन सेवाएं तैनात की जाएंगी। रेलवे पुलिस बल (RPF) और अन्य सुरक्षा बलों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।
यात्रियों को सुविधाजनक यात्रा पर ज़ोर
रेलवे ने कहा है कि सभी यात्रियों को सुविधा प्रदान करना उनकी प्राथमिकता है. रेलवे की योजना में विशेष ध्यान दिया गया है कि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो. ट्रेनों के टाइम-टेबल में संशोधन किया जा रहा है और टिकट बुकिंग प्रणाली को भी सरल बनाया गया है।