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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के लोन अकाउंट को 'फ्रॉड' घोषित कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि भारत की एक प्रमुख सरकारी संस्था ने सार्वजनिक रूप से यह कहा है कि अनिल अंबानी डिफॉल्टर हैं, और फ्रॉड के दायरे में आते हैं। इसके बाद देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी ने सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
कांग्रेस ने सवाल उठाया कि इस खुलासे के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का रुख इस कारोबारी पर बेहद नरम और सहयोगी बना हुआ है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों एक ऐसे व्यक्ति को बार-बार फायदा पहुंचाया जा रहा है, जिसे देश की बैंकिंग व्यवस्था खुद संदिग्ध मान चुकी है?
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने अनिल अंबानी की कंपनी RCom के लोन अकाउंट को 'फ्रॉड' घोषित कर दिया है।
— Congress (@INCIndia) July 3, 2025
मतलब खुले तौर पर ये कहा जा रहा है कि अनिल अंबानी डिफॉल्टर हैं, फ्रॉड हैं।
लेकिन नरेंद्र मोदी अपने इस चहेते पर लगातार मेहरबान हैं, जानिए कैसे 👇
• नरेंद्र मोदी ने अनिल…
मोदी सरकार की अनिल अंबानी पर मेहरबानी
राफेल डील में एंट्री दिलवाई गई- राफेल लड़ाकू विमानों की डील में, सरकारी कंपनी HAL की जगह अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया गया। यह फैसला तब भी विवादों में रहा, और आज भी यह मुद्दा उठता है कि आखिर क्यों एक घाटे में चल रही कंपनी को इतनी बड़ी डील दी गई?
विदेशी कर्ज रफा-दफा- फ्रांस में अनिल अंबानी की टेलीकॉम कंपनी पर बकाया कर्ज था। बताया जाता है कि यह कर्ज भी ‘सुलझा’ दिया गया, बिना किसी बड़े सार्वजनिक विवरण के।
49,000 करोड़ का कर्ज, सिर्फ 455 करोड़ में सेटल
देश के कई बैंकों का अनिल अंबानी पर लगभग 49,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। यह कर्ज सिर्फ 455 करोड़ रुपये में सेटल कर दिया गया, यानी महज 0.92% भुगतान पर पूरा मामला रफा-दफा! ऐसे समझिए कि आम जनता के टैक्स का पैसा कौड़ियों के भाव में निपटा दिया गया।
डिफेंस सेक्टर में नई डील
दो दिन पहले ही अनिल अंबानी की कंपनी को एक और बड़ी डिफेंस डील मिली है, जिसके तहत वे भारत के लड़ाकू विमानों की मरम्मत और रखरखाव का काम संभालेंगे।
कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल
कांग्रेस ने सवाल उठाने के साथ ही जबाव की मांग की है। उनका कहना है कि क्या कारण है कि एक व्यक्ति जिसे देश का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड बता रहा है, उसे मोदी सरकार लगातार डिफेंस और रणनीतिक सेक्टर की डील्स क्यों दे रही है? क्या यह सिर्फ कारोबारी रिश्तों का मामला है या फिर इससे कहीं बड़ी साजिश? क्या आम जनता के टैक्स के पैसे से अरबों के डिफॉल्ट करने वालों को ऐसे ही राहत मिलती रहेगी? देश आज ये सवाल पूछ रहा है कि जब आम आदमी 10,000 का कर्ज न चुका पाए तो नोटिस आता है, और जब कोई अरबों का कर्ज हड़प ले तो उसे डील दी जाती है?