नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: सपा पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान तथा उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट को दोनों के खिलाफ दो मामलों की सुनवाई जारी रखने के निर्देश दिए गए थे। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अब्दुल्ला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है।
दो याचिकाओं को खारिज कर दिया था
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 जुलाई को अब्दुल्ला की उन
दो याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें उन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की कार्यवाही को चुनौती दी थी। ये मामले उनके खिलाफ दर्ज फर्जी पासपोर्ट और दो पैन कार्ड प्राप्त करने के आरोपों से जुड़े हैं। कोर्ट ने याचिकाओं को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था। अब्दुल्ला आज़म ने इन दोनों मामलों को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं और रामपुर की एमपी-एमएलए अदालत में चल रही पूरी कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी।
इन मामलों की शुरुआत 30 जुलाई 2019 को बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना की शिकायत से हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला ने गलत जन्मतिथि के आधार पर पासपोर्ट बनवाया, जो पासपोर्ट अधिनियम का उल्लंघन है। शिकायत के अनुसार, अब्दुल्ला को जनवरी 2018 में जारी पासपोर्ट में जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 बताई गई, जबकि उनके शैक्षिक दस्तावेजों में यह 1 जनवरी 1993 है।
चुनाव लड़ाने के लिए धोखाधड़ी से दो पैन कार्ड बनवाए
इसके अलावा, 6 दिसंबर 2019 को सक्सेना ने रामपुर के सिविल लाइंस थाने में एक और
एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला ने 2017 के विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे में गलत पैन नंबर का इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी दावा किया कि आजम खान ने अपने बेटे को चुनाव लड़ाने के लिए धोखाधड़ी से दो पैन कार्ड बनवाए। शिकायत में कहा गया है कि अब्दुल्ला ने निर्वाचन आयोग को दिए हलफनामे में एक पैन नंबर दर्शाया, जबकि आयकर रिटर्न में दूसरा नंबर इस्तेमाल किया जो कानूनन गंभीर अनियमितता है।
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