नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना को नए अध्यादेश के तहत आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है। निर्माण और फंड का प्रबंधन एक ट्रस्ट करेगा, सरकार नहीं। कोर्ट ने फंड ट्रांसफर का विरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया और सरकार से अध्यादेश पर हलफनामा दाखिल करने को कहा। अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।
अगली सुनवाई 29 जुलाई को
इस फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि परियोजना पर सरकार की सीधी नियंत्रण भूमिका नहीं होगी, बल्कि एक स्वतंत्र ट्रस्ट द्वारा कार्यों को अंजाम दिया जाएगा, जिससे धार्मिक भावनाओं के सम्मान और पारदर्शिता को बनाए रखने का प्रयास किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई 2025 को निर्धारित की है। तब तक ट्रस्ट को लेकर सरकार की ओर से दी गई कार्ययोजना, जवाबदेही और संचालन व्यवस्था की विस्तृत जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
क्या है बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना?
यह परियोजना मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर परिसर को विस्तार देने और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है। इसमें श्रद्धालुओं की भीड़ प्रबंधन, दर्शन के लिए सुव्यवस्थित मार्ग, सुरक्षा इंतजाम और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार का प्रस्ताव है।
‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास’
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले केवृंदावनस्थित प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी जी मंदिर के प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सेवा-सुविधाओं की जिम्मेदारी अब एक नए न्यास (ट्रस्ट) के पास होगी। मंदिर के संचालन के लिए राज्यपाल की ओर से नॉटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसके तहत मंदिर का देखरेख अब ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास’ नामक संस्था द्वारा किया जाएगा। इस न्यास में कुल 11 नामित ट्रस्टी नियुक्त किए जाएंगे, जबकि अधिकतम 7 पदेन सदस्य होंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्रस्ट के सभी सदस्य सनातन धर्म को मानने वाले हिंदू होंगे, ताकि मंदिर की पारंपरिक धार्मिक गरिमा यथावत बनी रहे।
banke Bihari mandir 2025