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अब और सटीक होगी मौसम की भविष्यवाणी! आज लॉन्च होगा ‘Bharat Forecast System’

भारत में लॉन्च होने जा रहा ‘भारत फोरकास्ट सिस्टम’ (BFS), 6 किमी रिज़ॉल्यूशन के साथ तूफान, बारिश और मौसमीय आपदाओं की देगा अधिक सटीक जानकारी। अब मौसम की भविष्यवाणी होगी पहले से दोगुनी प्रभावशाली।

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Dhiraj Dhillon
weather update, weather forecast

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।भारत में आज से मौसम की भविष्यवाणी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोमवार को देशी तकनीक से विकसित हाई रिज़ॉल्यूशन ग्लोबल फोरकास्ट मॉडल (HGFM) — भारत फोरकास्ट सिस्टम (BFS) का शुभारंभ किया। इसे पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (IITM) ने विकसित किया है।

दोगुनी सटीक मिलेंगी जानकारी

BFS का रिज़ॉल्यूशन 6 किलोमीटर है, जो अब तक उपयोग में लाए जा रहे 12 किलोमीटर के ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) की तुलना में दोगुना सटीक और स्थानीयकृत मौसम जानकारी देगा। इसका फायदा खासतौर पर भारी बारिश, तूफान और आकस्मिक मौसमीय घटनाओं की समय पर और सटीक चेतावनी में मिलेगा।

देशी सुपरकंप्यूटर "आर्का" देगा ताकत

इस प्रणाली की रीढ़ है आर्का सुपरकंप्यूटर, जिसकी क्षमता 11.77 पेटाफ्लॉप्स है और इसमें 33 पेटाबाइट स्टोरेज मौजूद है। यह पुणे स्थित IITM में स्थापित है और वर्तमान "प्रत्यूष" सुपरकंप्यूटर की तुलना में मौसम विश्लेषण का समय कम कर देगा।

देशभर के डॉपलर राडार से जुड़ेगा डेटा

BFS सिस्टम देशभर में मौजूद 40 डॉपलर वेदर राडार से डेटा लेगा, जिसे जल्द ही 100 राडार तक विस्तार दिया जाएगा। यह "नाउकास्ट" यानी अगले दो घंटों में होने वाले मौसम की सटीक भविष्यवाणी को और बेहतर बनाएगा।

AI और मशीन लर्निंग का होगा उपयोग

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भारत फोरकास्ट सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग तकनीकों को शामिल किया गया है, जिससे यह मॉडल उच्च रिज़ॉल्यूशन और समय-स्थान आधारित मौसम जानकारी बेहतर तरीके से दे सकेगा। हालांकि, कुछ डेटा-साझा करने की सीमाएं चुनौतियां उत्पन्न कर सकती हैं, जैसे कि जलवायु-प्रभावित बीमारियों से संबंधित स्वास्थ्य डेटा।

वैश्विक शोध को मिलेगा लाभ

BFS द्वारा उत्पन्न मौसम डेटा दुनियाभर के शोधकर्ताओं के लिए ओपन एक्सेस में उपलब्ध होगा। इससे मौसम विज्ञान में वैश्विक सहयोग और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और भारत उष्णकटिबंधीय मौसम पूर्वानुमान क्षेत्र में अग्रणी देशों की सूची में शामिल होगा।

ISRO और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों का भी सहयोग

इस परियोजना में ISRO की अहम भूमिका है, जो INSAT और IRS श्रृंखला के उपग्रहों से मौसम से जुड़ा डेटा प्रदान करेगा। इसके अलावा ब्रिटेन के मेट ऑफिस जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के सहयोग से भारत की मौसम पूर्वानुमान क्षमताएं और मजबूत होंगी।
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