नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। India-Pakistan Tension Live News: AICC मुख्यालय दिल्ली में आज कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भारत-पाकिस्तान तनाव और अमेरिका की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए। पायलट ने कहा, "हमारी सेना का शौर्य अद्वितीय है और हम उनके साहस को सलाम करते हैं। भारतीय सेना दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में शामिल है। बीते 24 घंटों में घटनाक्रम बहुत तेजी से बदला है और यह चौंकाने वाला है कि सीजफायर की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह एक द्विपक्षीय मामला है, जिसमें बाहरी हस्तक्षेप उचित नहीं।"
विशेष संसद सत्र और ऑल-पार्टी मीटिंग की मांग
सचिन पायलट ने केंद्र सरकार से संसद का
विशेष सत्र बुलाने और प्रधानमंत्री की मौजूदगी में ऑल-पार्टी बैठक आयोजित करने की मांग की। उन्होंने कहा, "पहली बार ऐसा हुआ है जब सरकार को सभी दलों का समर्थन मिला है और देश की 140 करोड़ जनता भी एकजुट होकर सरकार के साथ खड़ी है। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी को विश्वास में ले और पूरी स्थिति स्पष्ट करे।"
सीजफायर की शर्तों पर सरकार दे स्पष्टीकरण
पायलट ने सवाल उठाया कि अमेरिका ने किस शर्त पर सीजफायर की घोषणा की, यह बात सरकार को देश के सामने रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले भी कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बता चुके हैं, और अब फिर अमेरिका की भूमिका कई सवाल खड़े कर रही है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भारतीय सेना की कार्रवाई को "सौर्य का प्रतीक" बताया और कहा, "देश आतंक के खिलाफ एकजुट है और यही संदेश सदन के माध्यम से दुनिया तक जाना चाहिए।"
सीजफायर के बावजूद पाकिस्तान की हरकतें जारी
बता दें कि शनिवार शाम 5 बजे भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा हुई थी, लेकिन रात होते-होते पाकिस्तान ने फिर से भारत के कई क्षेत्रों में ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की। भारतीय सेना ने समय रहते इन हमलों को विफल कर दिया और कोई जनहानि नहीं हुई।
1971 युद्ध और संसद हमले का दिया हवाला
सचिन पायलट ने 1971 युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा, "तब अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी में सातवां बेड़ा भेजा था, लेकिन इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए ठोस निर्णय लिया। आज भी हम उन्हें इस निर्णय के लिए याद करते हैं।"उन्होंने कहा, "संसद पर हमले के समय भी जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और सोनिया गांधी विपक्ष की नेता थीं, तब विपक्ष ने सरकार का समर्थन किया था। इस बार भी विपक्ष सरकार के साथ है, लेकिन अमेरिका द्वारा किया गया युद्धविराम एक द्विपक्षीय मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाने का प्रयास है।"
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