नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध की बात हो और गुजरात के कच्छ जिले के माधापार गांव की बहादुर महिलाओं का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। भुज की नष्ट हो चुकी हवाई पट्टी को सिर्फ 72 घंटे में दोबारा तैयार करने वाली 300 से अधिक महिलाओं की बहादुरी आज भी लोगों को गर्व से भर देती है।
अब जबकि इस घटना को 54 साल बीत चुके हैं, इन महिलाओं की उम्र भले ही 70-80 वर्ष हो चुकी हो, लेकिन उनका जज्बा और देशभक्ति का जुनून आज भी उतना ही मजबूत है। वे कहती हैं कि अगर देश को जरूरत पड़ी तो वे फिर से उसी तरह की जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं।
पीएम मोदी ने गुजरात दौरे पर की मुलाकात, भावुक हुए पल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 26 मई को गुजरात दौरे पर पहुंचे तो वे इन वीरांगनाओं से मिलकर भावुक हो गए। उन्होंने जीवित बची 13 महिलाओं से मुलाकात की, उनका सम्मान किया और उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान इन महिलाओं ने उन्हें '
सिंदूर' का पौधा भी भेंट किया, जिसे अब प्रधानमंत्री आवास में लगाया जाएगा। पीएम मोदी ने भावुक होते हुए कहा-
इन महिलाओं ने 72 घंटों में रनवे तैयार किया और इससे वायुसेना को हवाई हमले फिर से शुरू करने में मदद मिली। मैं सौभाग्यशाली हूं कि आज मुझे इन वीरांगनाओं का आशीर्वाद मिला।
ऑपरेशन 'सिंदूर': इतिहास के पन्नों से बाहर आई सच्ची वीरता
इस घटना को अब 'ऑपरेशन
सिंदूर' कहा जा रहा है, जिसने दशकों पुरानी इस वीरता और देशभक्ति की मिसाल को फिर से राष्ट्रीय मंच पर ला दिया है। यह पहल दिखाती है कि किस तरह साधारण महिलाएं असाधारण योगदान दे सकती हैं, खासकर जब बात देश की सुरक्षा की हो।
कानबाई विरानी: 80 की उम्र में भी जज्बा जवानों जैसा
80 वर्ष की कानबाई विरानी ने बताया कि 1971 के युद्ध के दौरान उन्हें सायरन बजने पर काम रोकने और फिर दोबारा सायरन बजने पर काम शुरू करने के निर्देश दिए गए थे। आज भी उनमें देश के लिए कुछ करने की ललक है। उन्होंने कहा- अगर फिर युद्ध हुआ और देश को जरूरत पड़ी, तो माधापार की महिलाएं एक बार फिर तैयार होंगी।
"केम छो बढ़ा?": पीएम मोदी से आत्मीय संवाद
पीएम से मुलाकात पर विरानी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को आशीर्वाद दिया और उन्हें हर तरह से समर्थन देने का भरोसा दिलाया। जब पीएम मोदी ने पूछा, "केम छो बढ़ा?" तो विरानी ने कहा कि अब उनकी सेहत कुछ ठीक नहीं रहती। इस पर पीएम ने तुरंत उनका हालचाल पूछा और सेहत का ख्याल रखने की सलाह दी।
एक मिसाल जो इतिहास बन चुकी है
1971 की यह घटना अब सिर्फ इतिहास नहीं, प्रेरणा बन चुकी है। इन महिलाओं ने साबित कर दिया कि देशभक्ति न उम्र देखती है, न हालात। और प्रधानमंत्री मोदी की पहल से यह बहादुरी अब नई पीढ़ी तक पहुंच रही है, जो भविष्य के भारत के लिए एक सशक्त संदेश है।
भुज वायुसेना के एयरबेस पर क्या हुआ था
वीरांगनाओं ने बताया कि 1971 में पाकिस्तान की ओर से भुज स्थित वायुसेना के एयरबेस पर भारी बमबारी की गई थी। रनवे पर 20 से अधिक बम गिराए गए, जिससे वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। वायुसेना के अधिकारियों ने कहा था कि इसकी मरम्मत में 4 से 6 महीने तक लग सकते हैं। लेकिन माधापर गांव की महिलाओं ने कुछ और ही ठान लिया। शुरुआती दिन 30 महिलाएं काम पर पहुंचीं, और दूसरे दिन यह संख्या स्वतः ही बढ़ गई। तीसरे दिन तक करीब 300 महिलाओं ने मिलकर दिन-रात मेहनत कर रनवे को फिर से तैयार कर दिया।