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Medical Education Scam: महाघोटाले के नेशनल नेटवर्क का भंडाफोड़, बड़े अफसर-प्रसिद्ध संत समेत 35 पर FIR

CBI ने देश की मेडिकल शिक्षा प्रणाली में बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ किया है। यह घोटाला अब तक का सबसे बड़ा मेडिकल शिक्षा घोटाला माना जा रहा है, जिसकी जड़ें कई राज्यों में फैली हैं।

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Pratiksha Parashar
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्ककेंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने देश की मेडिकल शिक्षा प्रणाली को झकझोर कर रख देने वाले भ्रष्टाचार मामले का भंडाफोड़ किया है। मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में यह देश का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। इसकी जड़ें कई राज्यों में फैली हुई हैं। इसमें कई बड़े अधिकारी, नामी शिक्षाविद, निजी कॉलेज संचालक और एक जाने-माने आध्यात्मिक गुरु का नाम भी शामिल है। 

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आरोपियों में शामिल मशहूर हस्तियों के नाम

यह घोटाला मेडिकल कॉलेजों की फर्जी मान्यता दिलाने से संबंधित है। इस मामले में दर्ज FIR के अनुसार, 35 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें प्रमुख नाम हैं- डीपी सिंह (पूर्व UGC चेयरमैन, वर्तमान में TISS के चांसलर), रावतपुरा सरकार के नाम से प्रसिद्ध संत रविशंकर महाराज, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, इंदौर के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया और पूर्व IFS अधिकारी संजय शुक्ला, जो छत्तीसगढ़ रेरा के चेयरमैन रह चुके हैं।

कैसे हुआ पर्दाफाश?

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CBI को लंबे समय से यह इनपुट मिल रहा था कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के कुछ अधिकारी निजी मेडिकल कॉलेजों से मोटी रकम लेकर उनकी मान्यता से संबंधित रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इसी कड़ी में एक ट्रैप बिछाया गया, और बेंगलुरु में एक मेडिकल निरीक्षण टीम के डॉक्टर को 55 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। 

6 राज्यों में 40 ठिकानों पर छापेमारी

इसके बाद CBI ने 1 जुलाई को देशभर में बड़ी छापेमारी की कार्रवाई की।  कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत 6 राज्यों में 40 ठिकानों पर रेड डाली गई। तीन डॉक्टरों सहित 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया, और अब जांच के दायरे में रावतपुरा सरकार मेडिकल साइंस संस्थान समेत 8 राज्यों के कई मेडिकल कॉलेज आ गए हैं, जिन पर पैसे लेकर मान्यता दिलाने का आरोप है।

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कैसे जुड़ा घोटाले का पूरा नेटवर्क

इस घोटाले के आरोपियों में सबसे ज्यादा चर्चा रावतपुरा सरकार की हो रही है। FIR के अनुसार, रावतपुरा सरकार ने जांच से जुड़ी गोपनीय जानकारी पहले से हासिल करने की कोशिश की थी। इसके लिए रावतपुर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर अतुल कुमार तिवारी ने मयूर रावल से संपर्क साधा। मयूर रावल ने जानकारी देने के बदले 25 से 30 लाख रुपये की मांग रखी। इसके बाद उन्होंने निरीक्षण की तारीख और अधिकारियों के नाम भी साझा कर दिए। जांच एजेंसियों का कहना है कि रविशंकर महाराज ने जांच रिपोर्ट को अपने अनुसार तैयार कराने के लिए डीपी सिंह से भी संपर्क किया था। डीपी सिंह ने यह जिम्मेदारी सुरेश को सौंप दी। इस पूरे मामले पर अभी तक डीपी सिंह की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, पीटीआई की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

कौन हैं रावतपुरा सरकार?

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उत्तर भारत में "रावतपुरा सरकार" के नाम से प्रसिद्ध संत रविशंकर महाराज रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के चेयरमैन हैं। CBI की एफआईआर में उनका नाम चौथे नंबर पर दर्ज है। उनका जन्म 12 जुलाई 1968 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के छिपरी गांव में हुआ था। बचपन में उनका नाम रवि रखा गया था। उनके पिता कृपाशंकर शर्मा एक साधारण ग्राम सेवक थे और मां रामसखी शर्मा एक घरेलू महिला। अध्यात्म की दुनिया में उनकी पहचान बहुत गहरी है, और उनके अनुयायियों में कई प्रमुख राजनेता भी शामिल हैं।

क्या होगा आगे?

CBI की जांच से यह सामने आया है कि रावतपुरा समूह से जुड़े कई ट्रस्टों और कॉलेजों ने NMC की टीमों को प्रभावित करने के लिए कैश और अन्य लाभ दिए। रायपुर स्थित मेडिकल कॉलेज पर कार्रवाई के तहत उसका "जीरो ईयर" घोषित किया जा सकता है, यानी वहां इस साल किसी भी बैच को दाखिला नहीं मिलेगा। scam | corruption

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