नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
राजनीति के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा में अब सिर्फ सांसदों की गिनती नहीं, बल्कि गठबंधनों की चालबाज़ी असर दिखा रही है। भाजपा और AIADMK के फिर से करीब आने से राज्यसभा का गणित पूरी तरह पलट गया है। विपक्ष जहां पहले थोड़ी मज़बूती के साथ खड़ा था, अब वहीं से उसका ग्राउंड खिसकता नज़र आ रहा है।
BJP-AIADMK की साझेदारी ने दिलाई ताकत
राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, जिनमें से 12 खाली होती हैं, यानी प्रभावी संख्या 233 की मानी जाती है। बहुमत के लिए ज़रूरी आंकड़ा 123 का है। BJP अपने दम पर इस आंकड़े से काफी दूर थी, लेकिन NDA के पुराने साथी AIADMK के फिर साथ आने से कहानी बदल गई है। AIADMK के पास 4 सीटें हैं, और इनके जुड़ते ही NDA की गिनती 101 तक पहुंच गई है।
विपक्ष की पकड़ हुई ढीली
विपक्षी INDIA गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, DMK, TMC, AAP और अन्य दल शामिल हैं, अब पहले जैसी स्थिति में नहीं है। AIADMK के NDA के पाले में जाने से DMK की रणनीतिक स्थिति भी कमजोर हुई है। विपक्ष के पास अब सिर्फ 105 सीटें बचती हैं, जिससे वह बहुमत के आंकड़े से और दूर हो गया है।
विधेयकों पर अब ज्यादा नियंत्रण
राज्यसभा में अब BJP को किसी भी विवादित विधेयक को पास कराने में वैसी मुश्किल नहीं होगी जैसी पहले आती थी। राष्ट्रपति चुनाव से लेकर अहम बिलों पर अब विपक्ष की ब्लॉकिंग पावर कमज़ोर हुई है। वहीं AIADMK की वापसी से BJP को दक्षिण भारत में एक राजनीतिक संदेश देने का मौका भी मिला है।
क्यों मायने रखती है AIADMK की वापसी?
AIADMK तमिलनाडु की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और उसकी राज्यसभा सीटें DMK के मुकाबले संसद में संतुलन साधती थीं। अब जब AIADMK NDA के साथ है, BJP तमिलनाडु से लेकर दिल्ली तक अपना दायरा फिर से फैला रही है।