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सपा सांसदों की मस्जिद में बैठक पर BJP ने उठाया सवाल, अवधेश प्रसाद ने दी सफाई

सपा प्रमुख अखिलेश यादव और पार्टी सांसदों द्वारा संसद मार्ग स्थित मस्जिद में कथित बैठक को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने इसे राजनीतिक चाल बताया, जबकि सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने सफाई देते हुए कहा कि वहां सिर्फ चाय पीने के लिए गए थे, कोई बैठक नहीं हुई।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, आईएएनएस: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी के अन्य सांसदों के साथ संसद भवन के पास मौजूद एक मस्जिद में कथित तौर पर बैठक करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने पार्टी नेताओं का बचाव किया और कहा कि हमारे नेता ने मस्जिद के अंदर किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं की है, वे सिर्फ चाय पीने गए थे।

अखिलेश यादव के चाय पीने से भाजपा के पेट में दर्द क्यों

समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "यह भाजपा की मानसिकता और विचारधारा है, और वे जो कह रहे हैं वह पूरी तरह से झूठ है। वे गलत तथ्यों के आधार पर भ्रामक बयान दे रहे हैं। हमारे नेता द्वारा मस्जिद के अंदर किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं की गई। हां, यह सच है कि हमारे सांसद वहां रहते हैं और उन्होंने अनुरोध किया था कि एक कप चाय साथ बैठकर पीजिए। इसी वजह से हमारी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव उनके आग्रह पर वहां गए थे। मैं पूछता हूं कि अखिलेश यादव के वहां (मस्जिद) चाय पीने से भाजपा के पेट में दर्द क्यों हो रहा है?

जो आस्था जोड़ने का काम करती है हम उसके साथ 

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इससे पहले समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने संसद मार्ग स्थित एक मस्जिद के अंदर कथित तौर पर बैठक को लेकर सफाई दी थी। उन्होंने कहा कि आस्था जोड़ती है और जो आस्था जोड़ने का काम करती है हम उसके साथ हैं, लेकिन भाजपा चाहती है कि कोई जुड़े नहीं, दूरियां बनी रहें। हम सभी धर्मों में आस्था रखते हैं, लेकिन भाजपा का हथियार धर्म है।

सपा प्रमुख मस्जिद में राजनीतिक बैठक की

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के सांसदों की तस्वीर को शेयर कर सवाल उठाए थे। उन्होंने एक्स पर लिखा, "समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संसद परिसर के पास स्थित मस्जिद में राजनीतिक बैठक की। ये वही हैं, जिन्होंने राम मंदिर के भव्य उद्घाटन (22 जनवरी 2024) को 'राजनीतिक प्रोजेक्ट' बताकर दूरी बना ली थी। यह 'धर्मनिरपेक्षता' नहीं, बल्कि वोट बैंक के लिए किया गया पाखंड है। bjp

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