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नई दिल्ली, आईएएनएस। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सफलतापूर्वक वापसी का स्वागत करते हुए प्रस्ताव पारित किया है। शुभांशु शुक्ला मंगलवार को अंतरिक्ष से वापस धरती पर लौटे। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस अवसर को "देश के लिए गौरव, उल्लास और प्रेरणा का क्षण" बताया। प्रस्ताव में लिखा है, "15 जुलाई को भारत की अनंत आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्रा से सकुशल धरती पर लौटे हैं। ये समूचे देश के लिए गर्व, गौरव और उल्लास का अवसर है।मंत्रिमंडल, देश के साथ मिलकर, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौटने का अभिनंदन करता है।"
25 जून को लॉन्च हुआ था मिशन
मंत्रिमंडल के इस प्रस्ताव में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा और उनके पूरे मिशन का जिक्र है। प्रस्ताव में लिखा है, "उन्होंने (शुभांशु शुक्ला) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 18 दिन का ऐतिहासिक मिशन पूरा किया। ये मिशन 25 जून को लॉन्च हुआ था, जिसमें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट के रूप में शामिल हुए। इस मिशन के जरिए पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गया। ये भारत के स्पेस प्रोग्राम का एक नया अध्याय है। ये अंतरिक्ष में भारत की एक बड़ी उड़ान है एवं हमारे स्पेस प्रोग्राम के भविष्य की स्वर्णिम झलक देता है।"
इसरो और पूरी टीम को दी बधाई
मंत्रिमंडल ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ वैज्ञानिकों की पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी और कहा कि इसकी निष्ठा, तपस्या और परिश्रम ने सपने को साकार किया। प्रस्ताव में कहा, "आईएसएस पर रहते हुए ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने अनेक प्रयोग किए। ये इंटरनेशनल स्पेस कोऑपरेशन में भारत की बढ़ती लीडरशिप भूमिका का प्रमाण है।" मंत्रिमंडल के अनुसार, माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों के पुनर्जनन, शैवाल एवं सूक्ष्मजीवों की ग्रोथ और अंतरिक्ष में फसलों की क्षमता से जुड़े वैज्ञानिक अनुसंधान इसमें शामिल थे।
सोच- समझने की क्षमता पर भी हुआ अध्ययन
इस मिशन में माइक्रोब्स के जीवन की संभावनाएं और इंसान की सोचने-समझने की क्षमता पर अंतरिक्ष के असर का अध्ययन भी हुआ। सायनोबैक्टीरिया जैसे जीवों के व्यवहार जैसे कई अहम विषयों पर काम किया गया। इन प्रयोगों से अंतरिक्ष में मानव जीवन को लेकर समझ और गहरी होगी और माइक्रोग्रैविटी साइंस में हम आगे बढ़ेंगे। प्रस्ताव में मंत्रिमंडल ने कहा कि भारत आने वाले समय में गगनयान मिशन के जरिए और भी बड़े लक्ष्यों की ओर देख रहा है। हमने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का संकल्प भी लिया है। शुभांशु शुक्ला के मिशन की इस सफलता ने भारत को अपने इन लक्ष्यों के एक कदम और करीब पहुंचा दिया है।
अंतरिक्ष मिशन की बड़ी शक्तियों में शुमार हुआ भारत
भारत अब मानव अंतरिक्ष मिशन की बड़ी शक्तियों में से एक बनने की ओर अग्रसर है। मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उनकी दूरदृष्टि, भारत की स्पेस क्षमताओं, उनके अटल विश्वास और मार्गदर्शन ने भारत को इस मुकाम तक पहुंचाया है। सरकार को इस बात पर गर्व है कि पिछले कुछ सालों में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अनेक ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं।
23 अगस्त को मनाया जाता है नेशनल स्पेस डे
मंत्रिमंडल ने यह भी याद दिलाया कि 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग की थी। इस दिन को अब नेशनल स्पेस डे के रूप में मनाया जाता है। इसी तरह, आदित्य-L1 मिशन ने सूर्य के रहस्यों को समझने में नई दिशा दी है। ये उपलब्धियां भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा और आत्मनिर्भरता का प्रमाण हैं।
बड़े पैमाने पर हुआ रोजा का सृजन
प्रस्ताव में कहा गया है, "सरकार ने स्पेस सेक्टर में जो सुधार किए हैं, उससे भारत की स्पेस इकॉनॉमी को अभूतपूर्व गति मिली है। इस सेक्टर में करीब 300 नए स्टार्टअप उभरे हैं। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन हुआ है। साथ ही इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन विकास का नया इकोसिस्टम तैयार हुआ है।"
भारत की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरण मिशान बने शुभांशु
मंत्रिमंडल का मानना है कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का मिशन सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता नहीं है, यह भारत की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा की मिसाल है। इससे हमारे बच्चों और युवाओं में जिज्ञासा बढ़ेगी और वैज्ञानिक सोच विकसित होगी। इससे प्रभावित होकर बड़ी संख्या में युवा साइंस और इनोवेशन को अपना करियर बनाएंगे। इस प्रस्ताव के आखिरी में लिखा है, "मंत्रिमंडल का दृढ़ विश्वास है कि ये मिशन विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा देगा। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो सपना प्रधानमंत्री जी ने देखा है, उसे नई मजबूती मिलेगी।"
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