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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की परीक्षाओं में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ हजारों अभ्यार्थी विरोध प्रदर्शन के लिए जुटे। शाम होते-होते हालात तनावपूर्ण हो गए जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की जिससे बहस और झड़पें हुईं। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और करीब 30 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया गया। पुलिस के मुताबिक, मैदान में लगभग 15,000 प्रदर्शनकारी मौजूद थे, जिनमें से करीब 100 लोगों ने तय समय के बाद भी धरना खत्म करने से इनकार कर दिया।
एसएससी परीक्षा प्रक्रिया में हुई लापरवाही
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि एसएससी परीक्षा प्रक्रिया न केवल अपारदर्शी है, बल्कि इसमें बड़ी लापरवाही और भेदभाव भी देखने को मिला है। उम्मीदवारों ने बताया कि उन्हें दूर-दराज के इलाकों में परीक्षा केंद्र आवंटित किए गए कई बार 400 से 500 किलोमीटर दूर तक। परीक्षार्थी ज्यादा खर्च और लंबी यात्रा के बाद परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि परीक्षा रद्द कर दी गई है और इस बारे में पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी। प्रदर्शन में शामिल एक शिक्षक ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि कई छात्रों को असम, झारखंड और अन्य सुदूर राज्यों में भेजा गया। वहां पहुंचकर पता चलता है कि परीक्षा नहीं होगी।
प्रदर्शनकारियों से वार्ता न करने से बिगड़े हालाता
प्रदर्शन ने बताया कि कई केंद्रों की हालत दयनीय है। कहीं बिजली नहीं है, कहीं मवेशी घूम रहे हैं। ऊपर से बाउंसर तैनात हैं जो छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश करते हैं। प्रदर्शन करने वालों ने बताया कि यह शांतिपूर्ण धरना था, लेकिन प्रशासन की ओर से उचित संवाद नहीं होने के कारण हालात बिगड़ते चले गए। दिल्ली पुलिस ने बताया कि करीब 15,000 प्रदर्शनकारी रामलीला मैदान में एकत्रित हुए थे। तय समय समाप्त होने के बाद भी जब सैकड़ों लोग मैदान में डटे रहे, तो पुलिस ने उन्हें हटाने का प्रयास किया। इसी दौरान झड़पें शुरू हो गईं, जिसके बाद पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं प्रदर्शनकारी
वीडियो फुटेज में प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस अधिकारियों के बीच धक्का-मुक्की और बहस के वीडियों और फोटो सामने आए हैं। पुलिस ने बाद में जानकारी दी कि 30 से अधिकर छात्रों को हिरासत में लिया गया है। इन घटनाओं ने एसएससी परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को लेकर चिंता पैदा कर दी है। छात्र संघ, कोचिंग संस्थानों और शिक्षकों ने संयुक्त रूप से मांग की है कि केंद्र सरकार और एसएससी उच्च स्तरीय जांच कराए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि उनके भविष्य और मेहनत का सवाल है। जब युवाओं को रोजगार की उम्मीद में भी धोखा मिलता है, तो उनका विश्वास सिर्फ एक संस्था में नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम से उठने लगता है।
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