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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के लिए सहमति वापस लेने संबंधी राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं पर पहले न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने विचार किया था।
जस्टिस सूर्यकांत की पीठ में सूचीबद्ध
कांग्रेस नेता शिवकुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ने पहले कहा था कि राजनीतिक हिसाब-किताब अदालतों में नहीं, बल्कि कहीं और चुकता किया जाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यदि याचिकाओं पर किसी अन्य पीठ द्वारा सुनवाई की जाए तो यह न्याय के सर्वोत्तम हित में होगा तथा निर्देश दिया कि उन्हें न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।
शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामला
पिछले साल अक्टूबर में, सीबीआई ने शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के लिए जांच एजेंसी को दी गई अपनी सहमति वापस लेने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। जांच एजेंसी की याचिका पर नोटिस जारी किए गए। भाजपा नेता बी. आर. पाटिल यतनाल ने भी इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का रुख किया है। शीर्ष अदालत ने शिवकुमार और राज्य सरकार से जवाब मांगा। पिछले साल 17 सितंबर को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने पाटिल द्वारा दायर याचिका पर शिवकुमार और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए थे।
सीबीआई ने दी थी कोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता वाले मौजूदा कर्नाटक मंत्रिमंडल ने 23 नवंबर 2023 को कहा था कि शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच के लिए सीबीआई को सहमति देने संबंधी पूर्ववर्ती भाजपा सरकार का 2019 का कदम कानून के अनुसार नहीं था और परिणामस्वरूप मंजूरी वापस लेने का फैसला किया गया। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सीबीआई और भाजपा विधायक यतनाल द्वारा दायर याचिका को गैर-विचारणीय करार दिया, जिसमें कांग्रेस सरकार के सहमति वापस लेने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
क्या था सीबीआई का आरोप
पिछले साल 29 अगस्त को, उच्च न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें राज्य सरकार के 26 दिसंबर 2023 के आदेश को भी चुनौती दी गई थी। उक्त आदेश में 74.93 करोड़ रुपये के आय से अधिक संपत्ति मामले को जांच के लिए लोकायुक्त को भेजा गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि शिवकुमार ने 2013 और 2018 के बीच अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की। इस अवधि के दौरान वह पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री थे> DK Shivakumar CBI case | court | court verdict India