नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई से 48 घंटे पहले रातों रात मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का क्या औचित्य है, वो भी तब, जबकि मैनें चयन समिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र देकर आपत्ति जताई थी। इस प्रकरण से मोदी सरकार ने हमारी चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर करोड़ों मतदाताओं की चिंता बढ़ा दी है।
राहुल गांधी ने आपत्ति पत्र भी शेयर किया
नेता प्रतिपक्ष ने राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को दिया गया आपत्ति पत्र भी 'एक्स' पर शेयर किया है। उन्होंने कहा है कि मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन का निर्णय आधी रात को लेना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए गरिमा के प्रतिकूल है, जब चयन समिति की संरचना और प्रक्रिया को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है और 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है तो नियुक्ति में जल्दबाजी क्यों की गई।
प्रधानमंत्री की अध्यक्ष वाली कमेटी ने की नियुक्ति
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी की अध्यक्षता में सोमवार शाम को ज्ञानेश कुमार को भारत के नए सीईसी के रूप में नियुक्त किया गया है। इस समिति में गृह मंत्री और राहुल गांधी भी शामिल थे। राहुल गांधी ने कहा है कि कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के प्रधान न्यायाधीश को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने चुनावी प्रक्रिया को ही कटघरे में ला दिया है।
“नेता प्रतिपक्ष होने के नाते सवाल उठाना जरूरी”
राहुल गांधी ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब आंबेडकर और हमारे राष्ट्र निर्माता नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और कुछ गलत होने पर सरकार को जिम्मेदार ठहराऊं। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ऐसे समय में नए सीईसी का चयन करने के लिए आधी रात को निर्णय लेना प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की गरिमा के प्रतिकूल और असभ्य दोनों है।
कांग्रेस महासचिव ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट किया है कि सरकार ने आधी रात को आनन फानन में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी। यह हमारे संविधान की भावना पर कुठाराघात है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में दोहराया है कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और शुचिता के लिए जरूरी है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति निष्पक्ष और संवैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत ही हो। उन्होंने कहा कि एक संसोधन के जरिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को मुख्य चुनाव आयुक्त चयन समिति से हटा दिया गया है और इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट को 19 फरवरी को सुनवाई करनी है, लेकिन सरकार ने उससे पहले ही ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी।