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सवालों जवाब देते पूर्व चुनाव आयुक्त। एक्स
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। देश के तीन पूर्व चुनाव आयुक्तों ने खुलकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के रवैये को गलत और अनुचित ठहराया है। पूर्व चुनाव आयुक्त -एसवाई कुरैशी, अशोक लवासा और ओपी रावत ने कहा कि नेता विपक्ष राहुल गांधी से ऐफिडेविट मांगना सीईसी का सरासर गलत फैसला था। अगर चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत हुई है, तो उसकी जांच होनी चाहिए। यही चुनाव आयोग का कर्तव्य है, जो ज्ञानेश कुमार नहीं निभा रहे हैं। ज्ञानेश कुमार को अब मोदी सरकार का पक्ष लेना बंद करना चाहिए, 'वोट चोरी' बंद करनी चाहिए। देश उन्हें देख रहा है और उनको कभी माफ नहीं करेगा।
ज्ञानेश कुमार का आक्रामक रुख सही नहीं था
तीनों पूर्व चुनाव आयुक्तों ने यह बातें सोमवार को 'इंडिया टुडे साउथ कॉन्क्लेव' के दौरान सवालों के जवाब में कही। इसका वीडियो कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर भी शेयर किया है। उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा हलफनामा मांगना और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के "वोट चोरी" वाले दावे पर आक्रामक रुख अपनाना सही नहीं था। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को इस मामले की जाँच करनी चाहिए थी।
सार्वजनिक माफ़ी मांगने को कहना गलत
तीन पूर्व चुनाव आयुक्तों ने कहा कुमार द्वारा उनसे(राहुल) हलफनामा देने पर ज़ोर देने, उनके खंडन में "गुस्से" और मतदाता सूची व चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता पर "संदेह को हवा में उड़ने" देने को गलत बताया। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एसवाई कुरैशी और ओपी रावत, तथा चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने स्पष्ट किया कि उनका मानना है कि सीईसी कुमार ने राहुल गांधी से हलफनामा या सार्वजनिक माफ़ी मांगने की मांग करके गलती की है।
राहुल गांधी और वोट चोरी के आरोप
उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने 7 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और भारत की मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी का आरोप लगाया, और भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) पर चुनावों में "चोरी" करने के लिए भाजपा के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया था। उन्होंने "वोट चोरी" का आरोप लगाने के लिए कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता सूची डेटा का इस्तेमाल किया। चुनावी राज्य बिहार में अपनी रैलियों में, जहाँ चुनाव आयोग मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कर रहा है, उन्होंने इन दावों को और बढ़ा दिया।
इसके जबाव में17 अगस्त को, मुख्य चुनाव आयुक्त कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कांग्रेस नेता द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि जांच तभी शुरू की जाएगी जब दावों का विवरण देते हुए एक हलफनामा दायर किया जाएगा। कुमार ने कहा, "या तो हलफनामा देना होगा या देश से माफ़ी मांगनी होगी। कोई तीसरा विकल्प नहीं है। अगर सात दिनों के भीतर हलफनामा नहीं मिलता है, तो इसका मतलब है कि ये सभी आरोप निराधार हैं।"
लहजे और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए
विशेषज्ञों और आलोचकों ने कहा कि कुमार का लहजा अनावश्यक रूप से आक्रामक था। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी ने कहा कि इस "गुस्से" से चुनाव आयोग को कोई मदद नहीं मिली। "मत भूलिए, राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं। वह सिर्फ़ अपनी राय नहीं, बल्कि लाखों लोगों की राय व्यक्त कर रहे हैं। इसलिए, अगर वह यह टिप्पणी करते हैं, तो आयोग का नाराज़ होना स्वाभाविक नहीं है।" यह पूछे जाने पर कि अगर वह अभी मुख्य चुनाव आयुक्त होते, तो क्या करते, कुरैशी ने कहा, "हम जांच का आदेश देते और इसे गंभीरता से लेते।"
हलफनामा मांगने की जगह, मामला सुलझाना चाहिए था
एक अन्य पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने कहा कि चुनाव आयोग को राहुल गांधी से हलफ़नामा मांगने के बजाय, तुरंत इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए था। रावत ने कहा, "किसी भी हितधारक से सवाल करना चुनाव आयोग का कभी भी विशेष गुण नहीं रहा है। जब भी कोई संदेह व्यक्त किया जाता है, चाहे वह आम मतदाता द्वारा ही क्यों न व्यक्त किया गया हो, आयोग ने हमेशा इसे गंभीरता से लिया है, तुरंत जांच की है और यह सुनिश्चित करने के लिए निष्कर्षों को सार्वजनिक किया है कि संदेह का कोई बादल न बने। उन्होंने आगे कहा, "चुनाव आयोग को इस मामले को तुरंत सुलझा लेना चाहिए था।" : CEC Gyanesh Kumar | CEC Gyanesh Gupta news | CEC Gyanesh Kumar news | Rahul Gandhi affidavit