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RSS का शताब्दी वर्ष, 2 अक्टूबर को नागपुर में होगा विजयादशमी उत्सव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में 2 अक्टूबर 2025 को नागपुर के रेशीमबाग मैदान में विजयादशमी उत्सव का भव्य आयोजन करने जा रहा है। यह उत्सव युगाब्द 5127 के अनुसार आश्विन शुक्ल दशमी को सुबह 7:40 बजे शुरू होगा।

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Ranjana Sharma
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नागपुर, आईएएनएस: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विजयादशमी उत्सव का भव्य आयोजन करने जा रहा है। यह कार्यक्रम 2 अक्टूबर को सुबह 7:40 बजे नागपुर के रेशीमबाग मैदान में होगा। इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राम नाथ कोविंद मुख्य अतिथि होंगे, जबकि सरसंघचालक मोहन भागवत उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे।

उत्सव को मानव कल्याण के उद्देश्य को समर्पित किया

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस आयोजन की जानकारी साझा की है। संगठन के अनुसार, संघ के इस ऐतिहासिक उत्सव को विश्व शांति और मानव कल्याण के उद्देश्य को समर्पित किया गया है, जो हिंदू समाज की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक स्वरूप में प्रस्तुत करेगा। वहीं, आरएसएस के सोशल मीडिया एक्स हैंडल के मुताबिक, नागपुर महानगर के संघचालक राजेश लोया ने सभी से सपरिवार समय से पहले कार्यक्रम में उपस्थित होने की अपील की है। यह उत्सव युगाब्द 5127 के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी, गुरुवार को आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नागपुर सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों और नागरिकों के पहुंचने की उम्मीद है।

ये दिग्‍गज होंगे कार्यक्रम में शामिल

आरएसएस की ओर से इस आयोजन को संघ के शताब्दी वर्ष का उत्सव बताया है। साथ ही इसे हिंदू समाज के एकजुटता और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के रूप में भी रेखांकित किया गया है। संघ की ओर से कहा गया है कि कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद और डॉ. मोहन भागवत के उद्बोधन से समाज को नई दिशा और प्रेरणा मिलेगी। आरएसएस ने सभी से इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने का आह्वान किया है। बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भारत का एक हिंदू राष्ट्रवादी, स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। इसका उद्देश्य हिंदू संस्कृति, एकता और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देना है। आरएसएस स्वयंसेवकों के माध्यम से सामाजिक सेवा, शिक्षा और चरित्र निर्माण पर जोर देता है। यह शाखाओं के जरिए शारीरिक प्रशिक्षण, अनुशासन और वैचारिक चर्चा आयोजित करता है।
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